किसे पाने को ये अन्तरिक्ष अनन्तकाल से विस्तरित होता जा रहा है, निश्चित रुप से प्रेम होगा किसी का, जो उसे विस्तार तो दे रहा, पर हासिल नहीं हो रहा। -
किसे पाने को ये अन्तरिक्ष अनन्तकाल से विस्तरित होता जा रहा है, निश्चित रुप से प्रेम होगा किसी का, जो उसे विस्तार तो दे रहा, पर हासिल नहीं हो रहा।
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काश दिल में झांकने का कोई तरीका होता तो देख पाते की मेरी तस्वीर कैसे हटाई है?वो खुद ब खुद धुंधली हुयी थी, या उसे तुमने अपने हाथों से जलाई है। -
काश दिल में झांकने का कोई तरीका होता तो देख पाते की मेरी तस्वीर कैसे हटाई है?वो खुद ब खुद धुंधली हुयी थी, या उसे तुमने अपने हाथों से जलाई है।
मेरी सारी इबादत लौटा दी गयी,कहके "पूरा करने की ताकत हममें है ही नहीं।" -
मेरी सारी इबादत लौटा दी गयी,कहके "पूरा करने की ताकत हममें है ही नहीं।"
इश्क के भंवर में डुबकर कब कौन जाने, है जाना कहां?उकेर के, राह सारी, अब तुम्हारीमैं कर रही इंतजार इंतहा...कब? कौन बिछड़ा सा मुसाफ़िरहोना चाहे खुद में तबाह,मैं कर रही इस इश़्क मेंखुद को तबाह, होकर रिहा। -
इश्क के भंवर में डुबकर कब कौन जाने, है जाना कहां?उकेर के, राह सारी, अब तुम्हारीमैं कर रही इंतजार इंतहा...कब? कौन बिछड़ा सा मुसाफ़िरहोना चाहे खुद में तबाह,मैं कर रही इस इश़्क मेंखुद को तबाह, होकर रिहा।
ज़ेहन से उसको निचोड़ दे, आंखों को दे बंजर बना,जो चाहे तुझको भूल जाना उसको तू दे मंज़र बना।शाख़ में लगने लगे जब कोंपलें कुछ नए उम्मीद के तू काट आ वो कोंपलें, शाख़ से ही दे खंजर बना।। -
ज़ेहन से उसको निचोड़ दे, आंखों को दे बंजर बना,जो चाहे तुझको भूल जाना उसको तू दे मंज़र बना।शाख़ में लगने लगे जब कोंपलें कुछ नए उम्मीद के तू काट आ वो कोंपलें, शाख़ से ही दे खंजर बना।।
राह उगाना कीकर को;प्रेम में पीड़ा सहने कीआदत तुम्हें पड़ जायेगी।प्रेम डगर पर चलने वाले राह उगाना नीम को भी ;प्रेम में होगा जब मधुमेह ये राहत तुम्हें पहुँचायेगी। -
राह उगाना कीकर को;प्रेम में पीड़ा सहने कीआदत तुम्हें पड़ जायेगी।प्रेम डगर पर चलने वाले राह उगाना नीम को भी ;प्रेम में होगा जब मधुमेह ये राहत तुम्हें पहुँचायेगी।
चाहतें, मुद्दतों से जो "अधूरी" रहीं, सुनने में आया, वही चाहतें तो "पूरी" रहीं। -
चाहतें, मुद्दतों से जो "अधूरी" रहीं, सुनने में आया, वही चाहतें तो "पूरी" रहीं।
जो फाँद नहीं पाती थी, घर की दीवार, देखने को सिनेमा ;आज फाँद के चार किताब, वो देख रही, रंगमंच दुनिया का। -
जो फाँद नहीं पाती थी, घर की दीवार, देखने को सिनेमा ;आज फाँद के चार किताब, वो देख रही, रंगमंच दुनिया का।
शिकायतें नहीं करती, शिकायतों में रखा क्या है;जो बदल गया, उसके बदलने से अच्छा क्या है। -
शिकायतें नहीं करती, शिकायतों में रखा क्या है;जो बदल गया, उसके बदलने से अच्छा क्या है।
तुम्हारे घर से आते वक़्त मैं अपनी दी हुयी किताबों के ढ़ेर से उठा लाया वो दीमक जिसने मेरे कलम से लिखे तुम्हारे नाम पर अपना घर बना रखा था। -
तुम्हारे घर से आते वक़्त मैं अपनी दी हुयी किताबों के ढ़ेर से उठा लाया वो दीमक जिसने मेरे कलम से लिखे तुम्हारे नाम पर अपना घर बना रखा था।