काश दिल में झांकने का कोई तरीका होता
तो देख पाते की मेरी तस्वीर कैसे हटाई है?
वो खुद ब खुद धुंधली हुयी थी,
या उसे तुमने अपने हाथों से जलाई है।
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मेरी सारी इबादत लौटा दी गयी,
कहके "पूरा करने की ताकत हममें है ही नहीं।"-
इश्क के भंवर में डुबकर
कब कौन जाने, है जाना कहां?
उकेर के, राह सारी, अब तुम्हारी
मैं कर रही इंतजार इंतहा...
कब? कौन बिछड़ा सा मुसाफ़िर
होना चाहे खुद में तबाह,
मैं कर रही इस इश़्क में
खुद को तबाह, होकर रिहा।
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ज़ेहन से उसको निचोड़ दे, आंखों को दे बंजर बना,
जो चाहे तुझको भूल जाना उसको तू दे मंज़र बना।
शाख़ में लगने लगे जब कोंपलें कुछ नए उम्मीद के
तू काट आ वो कोंपलें, शाख़ से ही दे खंजर बना।।-
राह उगाना कीकर को;
प्रेम में पीड़ा सहने की
आदत तुम्हें पड़ जायेगी।
प्रेम डगर पर चलने वाले
राह उगाना नीम को भी ;
प्रेम में होगा जब मधुमेह
ये राहत तुम्हें पहुँचायेगी।-
चाहतें,
मुद्दतों से जो "अधूरी" रहीं,
सुनने में आया,
वही चाहतें तो "पूरी" रहीं।
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जो फाँद नहीं पाती थी,
घर की दीवार,
देखने को सिनेमा ;
आज फाँद के चार किताब,
वो देख रही,
रंगमंच दुनिया का।-
फिर एक दिन
जब हम चले जायेंगे,
तो,
पहले जाने का सबब ढूँढना,
फिर मुस्कुराने का,
और अंत में,
तुम्हें अब तक चाहने का।-
किसे पाने को
ये अन्तरिक्ष
अनन्तकाल से
विस्तरित होता जा रहा है,
निश्चित रुप से प्रेम होगा किसी का,
जो उसे विस्तार तो दे रहा,
पर हासिल नहीं हो रहा।
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मंदिर से लौटते वक़्त मिटा दिया गया टीका हूँ,
मैं उसके जेहन में तो हूँ, बस थोड़ा फिका हूँ।
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