फिलहाल तो नहीं लेकिन मिलेंगे कभी...
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दिसंबर की सर्द रात मै......-
आरज़ू उसकी फ़िलहाल तो नहीं
कहीं मेरे दिल का कमाल तो नहीं
जब देखो उसी को ढूँढता रहता है
कहीं उस चेहरे का जमाल तो नहीं
इश्क़ मजनू बना देता है पता है मुझे
इस बात का उसको ख़याल तो नहीं
दिल में जगह तो दो उसको "आरिफ़"
इतने बुरे भी उसके सवाल तो नहीं
"कोरा काग़ज़" ही होती है मोहब्बत
हाथ में अब कलम है रुमाल तो नहीं-
प्यार हमको भी नहीं नफरत उनको भी नही
रोते हम भी नहीं हंसते वह भी नहीं
खफा हम भी नहीं बेवफा वह भी नहीं
रुसवा हम भी नहीं रुखसत वह भी नहीं
मरते हम भी नहीं जीते वह भी नहीं.....-
Baras gye badal aankho se,,
Ye lagati koi chaal to nhi...
Dekhi behti bebasi teri,,
Tujhme itni nafrat Philhal to nhi...-
Fhilhaal to nahi hoga
Tujhko bhulana
Per ek din aisa aaega
Tujhko yaad karne mein
Sochna padega ....
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कोई इरादा, दिल तुड़वाने का,
मगर हाँ एहसास इतनी प्यारी थी,
कोशिश एक दफा फिर करूँगी।-
फ़िलहाल तो नहीं मालूम,
कौन सी बीमारी किसे पकड़ेगी...
हे भगवान यह सर्दी कब खत्म होगी।
😂😂😂😜-
फिलहाल तो इरादा नहीं है तुम्हें भूल जायें।
मगर तुम्हें दर्द दिल का ये हम कैसे बतायें।
बैचैनियाँ बढ़ गई हैं अब मेरी इस कदर से।
तेरी शोख़ नजरों से नजरें हम कैसे मिलायें।
तुमने न इशारे किये न ही आहटें मुझको दी।
तेरी राह में चाहतों के दीये हम कैसे जलायें।
तुम रुबरु कुछ कहो ये भी मुम़किन कहाँ है।
ये अश्क आंखों में भी हम कब तक छिपायें।
यादों के ही सहारे हम नज़दीक आते रहेंगे।
नामुमकिन बहुत है दिल से तुमको हटायें।
फिलहाल तो इरादा नहीं है तुम्हें भूल जायें।
मगर तुम्हें दर्द दिल का ये हम कैसे बतायें।
प्रधुम्न प्रकाश शुक्ला
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इससे अच्छा कोई विकल्प हमारे देश को आगे बढ़ाने
के लिए हमें "जागरुक"होना अतिआवश्यक हैं..
क्योंकि जितना जरूरी हमारे लिए खाने को "दो
वक्त की रोटी" की जरूरत है उतना ही जरूरी
हमारे लिए शिक्षा है....!
- नीलम विश्वकर्मा -
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