ध्यान से पढ़ें...
हे स्त्री !
तुम रिश्तो में न कभी
ननद बनना न कभी
जेठानी न कभी सास
तुम बस केवल एक
स्त्री बनना और दूसरी
स्त्री की पीड़ा समझना...।।
क्योंकि एक स्त्री ही दूसरी स्त्री
की दुश्मन होती है फिर जीना
मुश्किल कर देती है
नीलम विश्वकर्मा
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मां बेटा पैदा करने के मोह में अपनी
सुन्दरता खो देती है,
वहीं बेटा सुन्दर बीबी के मोह में मां को
भूला यानी 'खो' देता हैं।।
मां अपने बेटे को काबिल बनाने में अपना
पूरा जीवन लगा देती हैं,
वहीं बेटा काबिल बनते ही बहकावे में आकर
मां को वृध्दाश्रम छोड़ आता है।।
सोच कर देखो मां भी ऐसे करती तो शायद दुनिया
में नहीं आते ।।
नीलम विश्वकर्मा
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कहते हैं कि ससुराल वाले बेटी का घर उसके माता- पिता तोड़ते हैं -
अरे एक बार सोच कर देखो जिस पिता ने
अपनी बेटी को पाल - पोस पढ़ा -लिखाकर
अपने पूरे जीवन भर की कमाई पाई -पाई
जोड़ कर ,जमीन -जायदाद गिरवी रख कर,
दान दहेज देकर, खुद कर्ज में डूबकर, बेटी
का कन्यादान करता है ।।
वो माता-पिता बेटी का घर तोड़ने का सोच भी नहीं सकते हैं -
बन्द करो ये इल्ज़ाम लगाना किसी की बेटी
आपकी बहू बनती है तो उसको रुला कर
ताने -कस कर बुरी ससुराल वाले बना देते हैं
इल्जाम बेटी के माता-पिता पर लगा देते हैं।।
ये तो रिश्तो की अपनी -अपनी समझ है अपने
विचार बदलो बहू को बेटी का प्यार दो सास-
ससुर को माता-पिता का प्यार दो ।।
अगर रिश्ते को निभाने में दोनों तरफ से चाहत हो
तो हर रिश्ते में कामयाबी जरूर मिलेगी।।
नीलम विश्वकर्मा
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Ego is not important
In my life
Self respect is most
Important in
My life........
Neelam@V-
-- कड़वा हैं मगर सच है --
आग की भी अपनी गजब की पहचान है
ससुराल में जब भी लगी है हमेशा बहू ही
जली है।।
दहेज के लिए हमेशा बहू पर ही जुर्म,
अत्याचार, प्रताड़ित, मजबूर कर अन्त
में जान से मार देते है।।
-- पिता का दर्द --
बेटी भी देता है दहेज़ भी
फिर भी झुककर रहता है ।
कड़वा सच बेटी देता है दहेज़
देने का नहीं लेने का हक बनता है।
फिर भी कभी बेटी के पिता ने
अकड़ कर नहीं झुककर चलना
सीखा है ।
जिस दिन लड़के का पिता अपना
बेटा, दहेज देगा कलेजा फट
जायेगा ।।
-- नीलम विश्वकर्मा ---
- हर रिश्ते को मतलब से नहीं -
प्यार की नजर से देखा जाए तो
हर रिश्ते में कामयाबी जरूर मिलेगी
- Neelam@V -
-
पागल नहीं थे--
हम,
बस तुम्हारे जुर्म तुम्हारी खुशी समझकर
सहते
हर बात मानते क्योंकि तुम्हारी खुशी से
बढ़कर कुछ था ही नहीं....।।
- नीलम विश्वकर्मा --
अगर टेढ़े,बुरे लोग लोग समझाने से,
सुधर जाए तो।।
बांसुरी वाले कभी महाभारत होने,
ही नहीं देते ।।
- नीलम विश्वकर्मा --
"नाम जिनका अटल है"
आप ने राष्ट्र के लिए जो मिशाल कायम की है
आज आप हमारे बीच न रहकर भी हम सब
के दिलों पर राज करते हैं।।
आप से हमें राष्ट्र हित के लिए जो सीख मिली है
कोई व्यक्ति पैसे,धन,दौलत से अमीर नही
होता हैं।।
हमें देश के प्रति निष्ठा,प्रेम-भाव,स्नेह, मुश्किल रास्ते
पर भी मुस्कराकर चलना सिखाया है।।
देश के प्रति हिन्दुस्तान को बुलंदियों को छूकर
एक अलग मुकाम दिलाकर पहचान बना गये।।
नमन है "भारत मां"के वीर सपूत "अटल जी"
- नीलम विश्वकर्मा --
अनेकता में एकता ही तो हमारी शान हैं इसलिए
तो हमें अपने तिरंगे पर अभिमान है।।
बैठ करके घर से बाहर हम मनाते हैं खुशियां
दुश्मनों से छीनकर हमारी खुशियां लौटा गये।
नमन उन शहीदों को सदा रहेगा हमारा देश
के खातिर जवानों ने दी कितनी कुर्बानियां।।
जिससे तिरंगा हमारा सदा सलामत
रहे।।
"जय हिन्द"
"जय भारत"
- नीलम विश्वकर्मा -
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