तेरा तो काम है लिखना
पेंसिल की तरह तेरी तकदीर में कहां है मिटना
कई लोगो के जुड़े तो कई के टूटे है रिश्ते
तेरा लिखना भी मिट पाता तो अच्छा होता कितना।-
'तारीफ़ लिखने बैठा था उसके,
'ख़ूबसूरती की,
'कलम ही रुक गयी उसका,
'मुस्कुराता हुआ चेहरा देखकर..!-
क्या लिखूँ
क़भी क़भी मनः स्तिथी यूँ अटूट सी हो जाती है
के आँसुओं को बहने की.. छूट सी हो जाती है,
लाख कोशिशों से भी भरते नहीं.. रिक्त स्थान मन के
क़लम भी असहाय.. मूक सी हो जाती है,
कल्पनाओं के कागज़ों पे पंक्तियाँ बिखरी पड़ी है
पऱ शब्दों को जोड़ने में.. चूक सी हो जाती है,
उफ़्फ़.. असमंजस में यूँ होता है मौसम दिल का
के बारिश भी होती है.. और धूप भी हो जाती है,
क्या लिखूँ
क़भी क़भी मनः स्तिथी यूँ अटूट सी हो जाती है
के आँसुओं को बहने की.. जैसे छूट सी हो जाती है..!-
ये कलम तुम्हारे आने से मुझे जिंदगी
जीने का एक नया नजरिया मिल गया
भटकती हुई जिंदगी को तेरे आने से
एक रास्ता मिल गया
अब तो हर दिन नया लगाने लगा दिन
में चैन रातों को सुकुन मिल गया
इस जिंदगी के पथरीली राहों में
मेरे पैरो को जैसे पंख मिल गया
ये कलम तुम्हारे आने से जिंदगी को
एक नया आयाम मिल गया
इस दर्द भरी दुनिया में मुझे खुशी
का ठिकाना मिल गया
खो रही थी अपना वजूद को तेरे आने से
your quote का पता मिल गया
ये कलम तुम्हारे आने से your quote didi
का सहारा मिल गया और इस अजनबी
your quote की दुनिया में कुछ
दोस्तो का साथ मिल गया
आशा
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कवि की संम्पति.. तो उसकी उदासी है
क़लम तो बस.. आँसुओं की.. प्यासी है,
मैं चाहूँ.. तुम पत्थर मारो मुझे
मुझे प्यार की भाषा.. समझ नहीं आती है,
हर तरफ़ हैं मोहः से मकड़ी के जाले
कोशिश तो है पऱ ज़िन्दगी.. कहाँ निकल पाती है,
आज फिऱ आँसु टहलने निकले हैं
देखूँ कितनी दूर तक.. मेरे रोने की आवाज़ जाती है,
मौत.. तुझे भी ढूँढ़ लेगी
बस आज.. मेरे घर की तलाशी है...!-
तू किसी तलवार से कम नहीं
तेरे चलने से अच्छे अच्छों की
बोलती बंद हो जाती है
तू सब पर आज भी भारी है
तुझे चलाने वाला
सही इंसान होना चाहिए
ऐ क़लम तेरी बात है अलग-
प्रिय कलम,
ऐ कलम आप के बारे में क्या लिखूं
जिसे मैं हुँ उसके बारे में क्या लिखूं...
मेरी पहचान हो आप, अपनी पहचान
के बारे में क्या लिखूं
शब्दों से रची मेरी दुनिया में मिले
आपके रंगों को क्या लिखूं
मेरी भावनाओं को मिले ,
आपके सहारे को क्या लिखूं
जो मेरी कहनी लिखता हैं
मैं उसकी कहनी क्या लिखूं
मैं आपके ही माध्यम से
आपके के बारे में क्या लिखूं
निमल संग कलम रहे जैसे
दिया संग बाती इतनी सी अभिलाषा है
हम दोनों का साथ सदैव रहे, अंतिम
पक्ति में ईश्वर से यही प्रार्थना लिखूं
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मेरे अल्फाजो को एक मुकाम देती कलम
मेरे एहसासों को एक नाम देती कलम
मेरे खवाबो को पनाह देती कलम
मेरे व्यक्तित्व को निखार देती कलम
मेरे सपनों को उड़ान देती कलम
मेरी निराशा को विराम देती कलम-
,
कुछ ऐसा लिख की,
जिसे पढ़ के वो मदहोश हो जाये,
मिट जाए दूरिया दोनों के दरम्यान,
सिमट कर मेरे आग़ोश में खो जाये,
फिर ऐ घटा कुछ यूं बरसना गरजना,
की डर के वो मेरी बाहों में ही सो जाये..!!
💞❤️💓☺️💓❤️💞-
"तु जो ना होता तो ,
कैसे बंया करता अपना हाले दिल...
दबी रह जाती अल्फाज सीने में,
और मैं ही होता उसका कातिल...
अब जो तु मिल गया है,
मिल जायेंगे विचारों को अपनी मंजिल...
गर तेरा हो साथ तो,
दुर हो जायेंगी हर मुश्किल...
मेरी भावनाएं ,
जब कर लेंगी तेरे शब्दों को हासिल...
बढ जायेगी शोहरत मेरी ,
जब तु सिने से लग कर जायेगा महफ़िल
पुछेंगें जब लोग मुझे ,
तु सुनायेगा मेरा हाले दिल"...
✒ राजेन्द्र राठौर ✒
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