ख़ामोशी में छिपाकर,आबरू अपने इश्क की,
बीती यादों को,हक़ीक़त का चमन कर लिया।
समेटकर बिखरी हुई , ख़्वाहिशों के जनाज़े,
सीने में तमाम उम्मीदों को,दफ़न कर लिया।
धागे ऐतेबार के टूटे,बिखर गई शख़्शियत मेरी,
भीगी पलकों को ,ज़रिया-ए-सुख़न कर लिया।
सुकून-ए-सहर की तलाश , करते - करते,
स्याह रातों को ,अपना हमनफ़स कर लिया।
कशमकश में जूझती जीस्त , मायूस हो गई,
आज़ाद उलझनों को,क़फ़स में कैद कर लिया।
-
बेखौफ ज़िन्दगी है, एक ख़्वाब के मानिंद,
हक़ीकत-ए-ज़िन्दगी में है हर शख्स डरा डरा,
अल्फ़ाज़ हैं लरज़ते, आवाज़ जो निकालूँ,
एक पल सुकूँन-ए-दिल, है मुझको नहीं ज़रा...-
वस्ल की एक लौ जलाये रखना,,
हक़ीक़त में ना सही, ख़्वाबों में ही
आते रहना !
-
यूँ उलझ गया ख़्वाब
को हक़ीकत बनाने में,
ख़ुद को भी भूल बैठा
उन को समझाने में।-
हास्य की रेखा भी बनानी पड़ती है,
कुछ हक़ीक़त को ख़ुद से ही,
छुपानी पड़ती है!-
Haqiqat hi hai..
jo ye hamein ab akal aayi hai..
Kho kar apno Ko samjh aaya,
ye duniya kitni parayi hai.-
भूल सभी मैं तल्खियाँ,बोती गम पर फूल ।
जीवन है खुशहाल तो, यही मंत्र है मूल ।।-
अक्सर उसी गुलाब के पौधे के पास खड़ा हुआ करता हूँ
फूल तो तुम्हें दे दिया इसीलिए काँटों को छुआ करता हूँ
हक़ीकत में न सही तो ख़्वाब में ही मिलती रहना
तुझसे मिलने के लिए नींद से हर रोज़ दुआ करता हूँ-
संग धरा नभ क्षुब्ध है,देख मनुज के पीर ।
लू के मौसम में गगन, बहा रहा है नीर ।।-
भूखे गरीब को भी दिलशाद कर के देखो
खुशियाँ मिलेंगी तुमको इमदाद कर के देखो //१
अपनी निशा बिताते जो आसमाँ के नीचे
इस मुफ़लिसी से उनको आज़ाद कर के देखो //२
संतोष भी मिलेगा और दाद भी मिलेगी
उनकी खुशी की ज्यादा तादाद कर के देखो //३
ग़ैरों के दर्द ए दिल का अहसास तुमको होगा
अपना भी दिल कभी तुम नाशाद कर के देखो //४
जितना भी बन पड़े तुम उतना ही कर लो लेकिन
निर्धन को अपने धन से आबाद कर के देखो //५
काफी है डूबते को तिनके का ही सहारा
दुर्दिन के वक्त अपने तुम याद करके देखो //६
लेकर ग़ज़ल ये प्यारी महफ़िल में तेरे आयी
दिल झूम जाएगा ये इरशाद कर के देखो //७-