इकरार पे तू यूं शर्मायी थी, गालों पे गुलाबी रंगत आई थी,
देखकर तेरे चेहरे की रंगत, मुझको तो होली याद आई थी।
पहले सावन में हरी हरी चूड़ियों से जब तू कलाई सजाई थी,
देख के तेरे प्रेम की हरियाली मुझको तो होली याद आई थी!
जब ना हो पाती थी बातें तुझसे,तुम सुर्ख़ रंग से तमतमाई थी,
देखके तेरी आँखों की सुर्खी, मुझको तो होली याद आई थी।
मुझे खोने के डर से तू सहमी सी पीली पीली नज़र आई थी,
देख के तेरा वो रूप सुनहरा, मुझको तो होली याद आई थी।
जब जब तुम खिखिलाई थी, जैसे बारिश में बिजली कौंधी थी,
सफेद मोती से दंतपंक्ति चमक से, बरबस होली याद आई थी।
चुलबुली चिड़िया सी जब भी तूने आसमां में उड़ान लगाई थी,
देख के तेरा आसमानी आँचल मुझको तो होली याद आई थी।
जब कभी भी तू रूबरू थी,फलक पर इंद्रधनुषी छटा छाई थी,
"राज" की हुई सतरंगी जिंदगी, मुझको तो होली याद आई थी। _राज सोनी-
'होली उत्सव'
होली आयी रे कन्हाई
रंग छलके सुना दे ज़रा बाँसुरी
छुटे ना रंग ऐसी रंग दे चुनरिया
धोबनिया धोये चाहे सारी उमरिया
मोहे भाये ना हरजाई
रंग हलके सुना दे ज़रा बाँसुरी-
जीवन
अवतरित हो सृष्टि में
लटका रहता है ऊपर ऊंचाई पे
टपकता है आसमां से एक दिन नीचे वो परिपक्व होने पे
रह जाते हैं कुछ इससे उदासीन अनभिज्ञ अनजान
कुछ उलझ के रह जाते हैं इसके उलझे जटाओं में
कुछ समझ नहीं पाते इसके अंदर की कठोरता को
कुछ भांप लेते हैं इसके अंदर के पानी को
ढूंढ लेते हैं रास्ते मीठे पवित्र जल को पाने के
कुछ तोड़ पाते हैं उसके पत्थर समान आवरण को
और पा जाते हैं उसके अंदर छिपे फल को
जो जानते हैं इसके मूल्य को
वो सारे कठिनाइयों से लड़कर
चढ़ ऊपर गगनचुम्बी वृक्ष पर
तोड़ लाते हैं फल नारियल।
ये जीवन है फल नारियल।-
कोविड सबसे पूछे भैया
सिट्टी पिट्टी गुम दुनिया की
कैसे जान बचाओगे
जोगीरा सा रा रा रा
अपने घर में बैठे बैठे
डिजिटल होली मनाएंगे
जल्द ही टीका लगा के
कोविड को सब हराएंगे
जोगीरा सा रा रा रा-
क़भी तो आ कर खेले वो होली हमारे साथ काशाना में,
तो उन्हें मालूम पड़े रंग ख़िलते कैसे हैं चेहरे पर उनके साथ!-
ख़ुशनसीब करके मुझे खुदमे माहींन कर दिया है
ख़ुश्बू ऐसी है तुम्हारी जैसे अफ़ीम कर दिया है
अब मर्ज़ी तुम्हारी है मुझे कौन सा रंग लगाओगे
तुमने तो पहले ही मुझे रँगीन कर दिया है।-
कितने भी छिपकर कर लो बुरे काम,
किंतु वह देख रहा है बंदे तुझे चुप रह कर भगवान।
सच्ची भक्ति ने प्रहलाद को जलने से बचाया,
होलिका को वरदान मिलने पर भी आग ने जलाया।
बरसाना, बिहार की होली का क्या कहना,
इस होली पर समृद्धि की कामना है, खुशियों के रंग से सदा रंगे रहना।
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