बड़ा अफसोस हुआ उस सिगरेट को
मुझसे दूर होती चली गयी
और मेरी कहानी क़रीब होती चली गयी-
अब बीते वक़्त को याद करके क्या फायदा
आगे बढ़ो और एक नई ज़िन्दगी की शरुआत करो
अपने हौंसलो को बुलंद कर
दिल में धीरज रख कर
बस आगे बढ़ते चलो ।।
ज़िन्दगी का एक नया मोड़ तुम्हारा
इंतज़ार कर रहा है आगे बढ़ो
बीती बातो को भूल कर
मुश्किल से लड़ कर
आगे बढ़ते चलो ।।
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तुम हो
तूम्हारे होने से ही मेरा होना है
मेरी अमानत ही नही
मेरा वजूद हो तुम
तुमने कैसे सोच लिया
तुम बिन हूँ मैं !!
तुम मेरी ज़िन्दगी ही नही
रूह हो मेरी तुम
तुम हो तो मैं हूँ।।
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शायद वो तुम्हारा था ही नही
जो तुम्हारे प्यार का रंग भूल कर
दुनिया के रंगों में रंग गया।।
जो अपनो को भूला कर
गैरो के संग मिल गया।।
जो कभी दो कदम भी ना
संग तुम्हारे चल पाया ।।
वो तुम्हारा था ही नही
जो तुम्हारा हो ना पाया।।
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ये दो शब्द
जिन्होंने मेरी ज़िंदगी बदल दी
जिसको मेरे होने से ना होने तक मतलब था
जिसको मेरी हर बात से मतलब था ।।
आज उसके उन्ही दो शब्दों ने मेरी
मेरी ज़िंदगी बदल दी ।।-
वहीं कर दो खत्म
जो हो गया सो हो गया
जाने दो उसे
बात बढाओ मत
क्यो जख्मों को कुरेदना
क्यो उसका राज भेदना
जो चला गया
उसे बुलाओ मत
यूँ बात बढाओ मत-
हक तो बहुत है,
पर कह नहीं सकता।
कह दिया अगर,
कायनात में,
तूफान आ जाएगा।
बस कुछ सोच कर,
लबों पर लॉक लगाता हूं,
कोई दुःखी ना हो जाए,
यही सोच कर,
मैं मेरा जज्बात,
दबा जाता हूं।-
मैं क्या करूँ शिकायत किसी के ना होने की,
मुझे किसी के होने ने, ना होके परेशान कर रखा है !!-
नन्ही सी जान हूं मैं
मुझे भी इस दुनिया में आना है
मां का आंचल और
बाबुल की गलियां महकाना हैं
भईया कि बहना बनूंगी
राखी कलाई पर सजाना हैं
मैं पढ़ लिखकर बाबुल की बहादुर बेटी बनूंगी
और भईया का मान बढाना हैं
मां कि संस्कारी बेटी बनूंगी
क्यूंकि मां की परछाई मुझे कहलाना हैं
फिर एक दिन लाल जोड़े में बंधकर
बाबुल की गलियां सुना कर जाना हैं
फिर वो सारे रस्म रिवाज मुझे निभाना हैं
क्यूंकि संस्कारी बेटी से अब अच्छी मां जो बन जाना हैं
लगातार सफ़र करते रहना कभी ना शिकायत करना
यहीं तो हमें सिखाया जाता हैं
फिर भी ये पुरूष प्रधान समाज कहता हैं
की तुमने किया क्या हैं ???
तो मैं भी कहती हूं तुम्हारे घर की रौनक बढ़ाने के लिए
मैंने अपने बाबुल का घर सुना छोड़ आया हैं
और क्या क्या सुबूत दूं मैं तुझे ऐ पुरुष
मैंने तुझ जैसों को जन्माया हैं...
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