आहिस्ता आहिस्ता मर रहें हैं हम
सारे ख्वाबों को पिछे छोड़कर
आगे बढ़ रहें हैं हम.....
आहिस्ता आहिस्ता मर रहें हैं हम
सारे शौक एक किनारे किए
इस बनावटी खुबसूरत दुनिया से
अब दूर हो रहें हैं हम.....
आहिस्ता आहिस्ता मर रहें हैं हम
सोचा था कुछ और पाया कुछ और
अब अपने ही उधेड़बुन में
फंस गए हैं हम.....
आहिस्ता आहिस्ता मर रहें हैं हम-
उम्दा लेखिका तो नहीं हूं .....
पर कुछ सच्चे अल्फाज़ लिखती हूं
मैं सिर्फ अपने दिल... read more
राह देखती रही मैं उसकी
जो तय करके गया था वापस नहीं लौटूंगा
आश टूट ही नहीं रही मेरी
शायद कभी तो वो पिछे मुड़ेगा-
उन्हें फ़ुरसत ना रहीं हमसे गुफ्तगू करने की
कम्बख़त हम यहां खामखां इंतज़ार करते रहें
जो गलतफहमियां थी वो रहीं भी नहीं हमारे बीच
कम्बख़त फिर भी वह हमसे किनारा करते रहें-
जिसके लिए आप एक वक्त में बहुत ख़ास होते हों ना
वहीं आपको एक दिन आम समझकर छोड़ जाता हैं-
कुछ लोग इस तरह से बदल जाते हैं जैसे की मौसम
और कुछ लोग ऐसे हमेशा साथ निभातें हैं जैसे कि परछाई-
शायद वो भी जग रहें हों मुझे याद करके
वो अधूरी बातें, वो अधूरे पड़े ख़्वाब
शायद अब उन्हें भी हैं बेचैन कर जाती-
खुद के हाथों खुद की खुशियों का गला घोंटा हैं हमनें
और अब सबसे कहते फिरते हैं बहुत खुश हैं हम-
आज ही के दिन बाबा आप
हम सबको छोड़ कर गए थे
पता ही नहीं चला कब आप
हम सबसे इतनी दूर हो गए थे
हर वक़्त आपकी याद हमें आती हैं
आपके डांट के पिछे छुपा प्यार
हमेशा अपने बच्चों की परवाह करना
सब याद कर आंखें आंसू से भर जाती हैं
We missed you baba😔
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जिंदगी में कितनी उलझनें हैं ये किससे बताऊं
सब अकेले ही छोड़ जाते हैं भरोसा किसपे जताऊं-
कमबख्त ये आंसू रूकते नहीं
छलक जाते हैं आंखों से
बेवजह किसी और के लिए-