विश्वकर्मा_नेहा   (Neha_🖤)
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Joined 28 September 2019


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Joined 28 September 2019

आहिस्ता आहिस्ता मर रहें हैं हम
सारे ख्वाबों को पिछे छोड़कर
आगे बढ़ रहें हैं हम.....
आहिस्ता आहिस्ता मर रहें हैं हम
सारे शौक एक किनारे किए
इस बनावटी खुबसूरत दुनिया से
अब दूर हो रहें हैं हम.....
आहिस्ता आहिस्ता मर रहें हैं हम
सोचा था कुछ और पाया कुछ और
अब अपने ही उधेड़बुन में
फंस गए हैं हम.....
आहिस्ता आहिस्ता मर रहें हैं हम

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राह देखती रही मैं उसकी
जो तय करके गया था वापस नहीं लौटूंगा
आश टूट ही नहीं रही मेरी
शायद कभी तो वो पिछे मुड़ेगा

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उन्हें फ़ुरसत ना रहीं हमसे गुफ्तगू करने की
कम्बख़त हम यहां खामखां इंतज़ार करते रहें

जो गलतफहमियां थी वो रहीं भी नहीं हमारे बीच
कम्बख़त फिर भी वह हमसे किनारा करते रहें

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जिसके लिए आप एक वक्त में बहुत ख़ास होते हों ना
वहीं आपको एक दिन आम समझकर छोड़ जाता हैं

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कुछ लोग इस तरह से बदल जाते हैं जैसे की मौसम
और कुछ लोग ऐसे हमेशा साथ निभातें हैं जैसे कि परछाई

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शायद वो भी जग रहें हों मुझे याद करके
वो अधूरी बातें, वो अधूरे पड़े ख़्वाब
शायद अब उन्हें भी हैं बेचैन कर जाती

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खुद के हाथों खुद की खुशियों का गला घोंटा हैं हमनें
और अब सबसे कहते फिरते हैं बहुत खुश हैं हम

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आज ही के दिन बाबा आप
हम सबको छोड़ कर गए थे
पता ही नहीं चला कब आप
हम सबसे इतनी दूर हो गए थे

हर वक़्त आपकी याद हमें आती हैं
आपके डांट के पिछे छुपा प्यार
हमेशा अपने बच्चों की परवाह करना
सब याद कर आंखें आंसू से भर जाती हैं

We missed you baba😔

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जिंदगी में कितनी उलझनें हैं ये किससे बताऊं
सब अकेले ही छोड़ जाते हैं भरोसा किसपे जताऊं

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कमबख्त ये आंसू रूकते नहीं
छलक जाते हैं आंखों से
बेवजह किसी और के लिए

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