अक़्सर बीते फ़साने है लगते सुहाने से❣❣❣ वक़्त था एक न किया, कदर हमारी मोहोब्बत मेँ,,, पूछूँगी कैफ़ियत मैं, फ़रमाइश करा आज बेगाने ने... अक़्सर बीते फ़साने है लगते सुहाने से❣❣❣
खुद का ज़िक्र किया तो लोग हसने लगे दर्द बयां किया तो भी लोग हसने लगे पर मैं भी चुप ना हुआ बोलता रहा , बोलता रहा अचानक से एक सन्नाटा सा छा गया महफ़िल में सब सुनने लगे गौर से मुझे आंसु निकलने लगे आंखों से जो कुछ वक़्त पहले ही हस रहे थे शायद मेरे दर्द ने उन्हें खुद का हाल बता दिया हो या पुराना जहन में कोई सवाल ला दिया हो मैं फिर भी चुप ना हुआ बोलता रहा लोग सुनते रहे सुबह से शाम हो आ ली पर मैं चुप ना हो सका दर्द हज़ार थे वक़्त तो लगना था थोड़े वक़्त बाद बोलते बोलते धीरे से में चुप हो गया सबकी नजरें अभी भी मुझे में ही टिकी थी पर मैं कुछ हल्का महसूस कर रहा था जैसा पहले कभी नहीं हुआ वैसा लगा दिल से किसी ने ईंट निकाल के रख दी हो बोझ हल्का हो उठा मैं हसने लगा सब कुछ पहले जैसा ही था बस फ़र्क इतना था कि सब रो रहे थे और अब मै हस रहा था। ❤️
आपकी हसीं मुझे अपनी हंसी लगती है आपका हर सपना मुझे खुद का सपना लगता है दूर मत करना मुझे अपने दिल के दरवाज़े से ख़ुद से ज्यादा मुझे आपका साथ अच्छा लगता है।