गंगा हूँ मैं ,गीता हूँ मैं ,
हर युग की सीता हूँ मैं
माता हूँ मैं ,दाता हूँ मैं
बलिदानों की गाथा हूँ मैं
बेटी हूँ मैं ,नारी हूँ मैं
स्वतंत्रता की अधिकारी हूँ मैं
राधा हूँ मैं ,मीरा हूँ मैं
प्रेम -त्याग की फकीरा हूँ मैं
आशा हूँ मैं ,निराशा हूँ मैं
हर युग की अलग-अलग परिभाषा हूँ मैं
त्याग हूँ मैं ,तपस्या हूँ मैं
फिर भी.....
हर युग में एक समस्या हूँ मैं ।।-
इश्क की गलियों में अक्सर लोग बहक जाया करते है़ं
जरा सम्भलिए जनाब!
जहां तैराक क्या , बड़े जहाज तक डुब जाया करते है़ं-
हर 'पतंग' ये पता होता है कि -
उसे अंत में 'कचरे' में जाना है...
लेकिन, उसके पहले उसे-
'आसमान' छूकर दिखाना है..
'ज़िन्दगी' भी बस यही चाहती है
मेरे दोस्त।।-
मैं अपनी कल्पनाओं में तुमको लिखती हु,,,
शब्द-शब्द में तुम्हारा प्यार नजर आए,,
यह अहसास तुमको समर्पित करती हूं,,,
मेरी हर शायरी में तुम ही तुम नजर आये,,
यह अहसास खुद को कराती हु,,,-
जरूरतें तो हर कोई किसी तरह पूरी कर देता हैं,
मैं तो मेरे अपनों की ख्वाहिशें पूरी करना चाहता हूं।-
वो संस्कारी थी...
जब तक सहती रही,
जब बोल पड़ी...
बदतमीज हो गई..!!!-
......मन की वेदना....
अपने दृष्टीकोण के कारण
खुद के मन में....
कभी निराशा कभी हताशा
कभी एकाकीपन तो कभी अकेलापन
इस भाव से व्यथा जन्म लेती है
तो कभी अपराधबोध की भावना
कभी खेद कभी क्रोध कभी भय
और कभी-कभी पराभूत मनःस्थिति
कभी कोई घटना कभी कोई संघर्ष
तो कभी मतभेद से जन्मी पीड़ा
इस संसार में हर मोड़ पर पीड़ा ही पीड़ा है...!!!-
गलती कभी कभी किसी
का नहीं होता बस एक दूसरे
को समझने का तरीका
अलग अलग हो जाता है..!
अपनों को समझाने की नहीं
बस थोड़ा समझने की
कोशिश करें ..!!
-
नित्य हो अनुष्ठान जंहा
तर्पण होता पितरों का
स्नान मात्र से मोक्ष मिले
जपों हरि-हरि...
या हर-हर...
#हरिद्वार #-