इस बात से पता चलता हैं उसकी पाक मोहब्बत का,
अपना ही आशियाना कौन तोड़ता हैं मोहब्बत का,
बड़ा अजब फैसला था ये उसकी कहानी का,
सिला क्या देता वो अपनों की मोहब्बत का,
रखा दिल पे पत्थर गला दबाया खुद के अरमानो का,
हँसता हैं वो अपने चेहरे पर लगा के नकाब,
कोई मजाकिया समझा तो कोई जोकर,
करता भी क्या अपने लिए जो दिल टूटा था उसका,
अगर वो रोता तो दुनिया उसे आशिक समझती,
हंसता तो उसे पागल कहती,
यही अंजाम रहा उसकी कहानी का,
बैठा आज भी उसके हीं इंतजार में,
कभी तो आ के कहे कोई उससे अपना,
जा कर ले पूरी कहानी अपनी भी मोहब्बत का...!!!
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