तुम्हारे जाने के बाद घर सूना हो गया है
जैसे दिल बेजान हो गया है
घर की खुशियाँ तुमसे ही थी
घर की रौनक तुमसे ही थी
मेरी ज़िंदगी का सूरज तुमसे ही
ढलता है और तुमसे ही उगता है
जाने कहाँ चले गए तुम
यहाँ सब सूना हो गया है
बहुत महफूज़ महसूस करती हूं
तुम्हारे बाहों में होने से
मगर आज ये बाँहें भी तरस रही
तुम्हारे ना होने से
मेरे लिए दिल ही नही बल्कि ये
जग भी सूना हो गया है।।
तूम्हारे जाने के बाद ये घर
भी सूना हो गया है।।।-
सफ़ेद चाँदनी में नहाया रात के फ़लक का हर कोना है,
सैंकड़ों तारे कहें आदाब पर तुझ बिन सब सूना सूना है-
बेरंग सी है जिंदगी तुम्हारे बिना , तुम नहीं हो तो सब सूना सा लगता है सब श्रृंगार फीके है चूड़ियों का रंग हरा नहीं लगता न हाथों कि मेहंदी का रंग चढ़ता हुआ सा प्रतीत होता है, न ही बिंदी उनती अच्छी लगती है न ही कपड़ों का कोई रंग मुझे भाता है लगता है जैसे पैरों कि पायल में छनक थोड़ी कम हो गई है गजरी कि खुशबू नम हो गई है सब बेरंग सा है तुम्हारे बिना।।
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जीवन में सब कुछ है,
तब भी कुछ अधूरा सा लगता है।
करने को तो अब भी बहुत कुछ है,
फिर भी वक़्त सूना सा लगता है।-
सूना जहां नहीं मेरा,
फिर भी किसी चीज़ की कमी हैं,
दिल मानता तो नही अब भी,
मगर शायद वो तेरी ही कमी हैं ||-
घर गुलजार हो गया
शहर सूना हो गया
गली गली मे कैद हर हस्ती हो गई
ना कोई अमीर ना कोई गरीब
आज फिर से जिंदगी महंगी
और दौलत सस्ती हो गई....-
बागों में बहार नहीं, घोंसले सूने पड़े ।
पंख मिलते ही पखेरू इधर-उधर को उड़ चले ।।
पुराना पेड़ निहारता रहता है, सूने घोंसले को ।
और शाम तक इंतजार करता है, परिंदों के लौट आने की ।।
सूखता जा रहा है पेड़, आशा और निराशा के बीच ।
शायद ये चमन अब उसकी जिन्दगी में, न खिले ।।-