रात की झील के चम्पई छोर पर
सुब्ह बैठी रही चाँद के कोर पर-
आज सुब्ह हुई है जानाँ, यक़ीनन हुई है
चिड़ियों की चहक है यहाँ, शोर नहीं है
शम्स अंगारे नहीं, रहमतें लुटा रहा है
आईना मुद्दतों बाद मुस्कुरा रहा है,
सबा ने भी अपनी रस्म निभाई है
तुम्हारी ख़ुशबू में भीग कर आई है
पर मुझे कोई शिकायत नहीं है
मैंने ख़ुद से सुलह कर ली है
अब किसी से हिक़ारत नहीं है
अब मैंने ये जंग ख़त्म कर दी है
आख़िरश ये हिम्मत कर ली है
उदासी से मोहब्बत कर ली है।-
जिसमें तुम उठते ही मुझे कॉल करते हो ,
मेरे लिए वही सही मायने में good morning है..❤-
जब कभी इक तवील रात के बाद
मैं अपना फोन चैक करता हूँ
यूँ भी इक मो'जीज़ा उभरता है
मुझको मिलता है तुम्हारा मैसेज
मुझको गुड मॉर्निंग कहता हुआ!
सारे कमरे में रौशनी भरता
नींद से खींच के ले आता है
सारी सोई हुई दीवारों को!
और इस तरह ये होता है कि
सुब्ह आ जाती है मेरे घर में!
लेकिन यूँ है कि तुम्हारा मैसेज
कभी-कभी ही तो आता है,
इसलिये सूब्ह भी मेरे घर में
किसी-किसी ही रोज़ आती है!-
किसी की राह तकना सुब्ह से फिर शाम कर देना
बड़ा मुश्किल है ख़ुद को यूँ किसी के नाम कर देना-
Kaise Bhula du Har subha Teri yaado ke sath Utha hu tu hi Bata tujhe kaise Bhula du
-
सुब्ह तलक जिसे
लिखता रहा हूँ मैं
सुनो ! तुम वो कहीं
ख़्वाब तो नहीं ?
सुनो ! तुम मिरी
तन्हाई हो फ़क़त,
मिरे जिंदगी की मुकम्मल
कोई ज़वाब तो नहीं !-