वेदों से पहले, तू था
वेदों के ईश्वर से पहले, तू था
पंच महाभूतों का देख विराट और विकराल रूप
तू व्यथित और व्याकुल हो रहा था,
और हाथ उठाकर कर रहा था याचना
यही याचना 'ऋचा' कहलाई
तमाम देवताओं के जन्मोत्सव, तूने ही मनाए
तूने ही सानंद मनाए पैग़ंबरों के जन्मदिन
हे मानव, तूने ही सूर्य को सूर्य कहा,
और सूर्य, 'सूर्य' हुआ
तूने ही कहा चांद को चांद, और चांद 'चांद' हुआ
सारे विश्व का नामकरण तू ने किया
और उसकी सारी चीजों को मान्य बनाया
हे प्रतिभाशील मानव,
तू ही सब कुछ है, और तेरी वजह से ही
यह संसार है, संजीव और सुंदर
–बाबूराव बागूल
हिंदी अनुवाद (मराठी से): अर्हत
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