साली तो रस की प्याली है,
साली क्या है रसगुल्ला है
साली तो मधुर मलाई-सी,
अथवा रबड़ी का कुल्ला है।
पत्नी तो सख्त छुहारा है
हरदम सिकुड़ी ही रहती है
साली है फाँक संतरे की,
जो कुछ है खुल्लमखुल्ला है।-
साली तो रस की प्याली है,
साली क्या है रसगुल्ला है
साली तो मधुर मलाई-सी,
अथवा रबड़ी का कुल्ला है।
पत्नी तो सख्त छुहारा है
हरदम सिकुड़ी ही रहती है
साली है फाँक संतरे की,
जो कुछ है खुल्लमखुल्ला है।-
नीम के आगे खाट पड़ी है, खाट के नीचे करवा।
प्रयागदास अलबेला सोवै, रामलला कै सरवा।।-
मैं एक लाईन लिखता हूँ तो वो चार लाईन लिखते है
मेरे जिन्दगी का किस्सा....मेरे से ज्यादा मेरे मोहल्ले वाले कहते है..!!-
इक रात की बात हो तो कोई बात भी हो
यहाँ हर रात सीने में सुलगता है बहुत कुछ
ये तो होंठों के म'आने हैं बस हँस देने के
वगरना मन रोज़ ही उगलता है बहुत कुछ
कसक भी परेशां है क्यूँ न आती चहरे पे
पर मस'अला है ये के खलता है बहुत कुछ
अब दर्द की इंतेहा भला घाव न बतायेंगे
इनके सायों में भी तो पलता है बहुत कुछ-
जहां देखो वहां
हर तरफ सब ईश्क के आग में
झुलसे बैठे है
लाखों खाक है पर अभी भी
सैकड़ों तैयार बैठे है ।-
हमेशा पूछते हो न की क्यूँ उसे कुछ नहीं कहते हो
तो सुनो, शाला है अपना हक़ है उसका ॥-
न मै भटका न, मै खोया हुअा था
अपने खव्वाबो को पलको पर सजाया हुअा था-