और इसी तरह
ये वक्त ये पल
ये दिन ये त्योहार
ये महिने ये साल
सब युही धिरे-धिरे
हाथो से रेत सी
फिसल रही यहा!-
मैं उसे दीवानगी का नाम दिए जाती हूं।।।
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तेरा चेहरा सुहावन सा लगता हैं माधव
तुझसे जुदा होकर भी, अपना पन सा लगता हैं-
किसी की याद आना लाज़मी है
किसी की याद सताना लाज़मी है
पर उन यादो़ के बोझ़ तले, हम दफ़न ना हो जाए कही!
ये एहसास होना भी लाज़मी है!
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खलती हैं ये अकेलापन
जो तेरे होने के बावजूद मिली
संभलती नही ये दिवाना-पन
जो तेरे लिए, हर वक्त जगे
क्यु इश्क़ में हर चीज
खोकर ही एह़सास करे
क्यु कीसी से दुर जाकर ही
ये आभास करे
की हम साथ भी तो हो सकते हैं न
क्या जरुरी हैं, यही की हम
जुदा होकर ही ता-उम्र
एक दुसरे को याद करे-
मेरे बाद भी, न जाने वो कितनो का हुआ!
हा! मेरे बाद भी, न जाने कितनो का हुआ!
पर गुरुर सिर्फ़ इस बात का हैं
बहुतो का होकर भी वह सिर्फ मेरा रहा!-
आफते हजार सहते हो
जरा कहो तो किस्से प्यार करते हो!
बे मौसम ही आंखों से बरसात करते हो
जरा कहो तो किस्से प्यार करते हो!
इक उसके आने की आहट से
खलीश़ में भी सुकून पाते हो
जरा कहो तो किस्से प्यार करते हो!-
बात कुछ भी नहीं, बस इक मनमानी सी है
बात कुछ भी नहीं, बस इक मनमानी सी है
तुझे यु भुलाए कैसे, एहसास कुछ सदीयो पुरानी सी है!-
बढ़ जाने दो दुरीया इन्सानो में
की खुदा को इश्क़ रास भी तो नहीं आती-