...सारा रंग बिखर जाता है...
जब वो शाम ढलते ही मेरे इतने करीब आता है
जुगनू से रोशन यह समा हो जाता है...
महकती हुई फिजाओं में उसका नाम समझ आता है
उसे देखने को दिल इतना वेसबर हो जाता है
कि निगाहों में बस उसका ही अक्स नजर आता है
यह वक्त यह पल इन रंगो मे यूं बिखर जाता है
मचलती हुई ख्वाहिशों को एक पनाह दे जाता है
यू यह हर रोज हमें बेसब्र करने आता है
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-Menka singh
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लगी है जो सीने मे आग मेरे दोस्त उसे बुझाओगे कैसे
बेपनाह मुहब्बत करते हो उससे,मेरे दोस्त फ़िर उसे भुलाओगे कैसे
केहते हो दो चार दिन कि बात है भूल जाएंगे,ज़ख्म अभी ताज़ा है
ज़ख्म नासूर बन गया अगर तो,मेरे दोस्त मरहम लगाओगे कैसे
केहते है इश्क़ से तौबा कर लिया,इश्क़ ना करेंगे अब ये फ़ैसला कर लिया,,
हर तरफ़ चल रही है इश्क़ की आन्धी, मेरे दोस्त इस इश्क़ की आन्धी से खुद को बचाओगे कैसे-
दिल का भंवर तुझको हर पल पुकारे,
अब तो हो जाओ सनम तुम हमारे।
कभी किशन बनकर ये बंशी बजाए,
राधा बनकर हम भी तेरे पास दौड़े आएं।
कभी अपनी गुंजार से दिल को लुभाए,
तो कभी बतियों से जी को चुरा ले जाए।
तुमने अपने श्याम रंग से जादू कर दिया,
पिया ही पिया "सारा"बोले अब मेरा जिया।
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क़त्ल ही करना था तो खंजर उठा लेती
यूं रुख से नकाब उठाने की क्या जरूरत थी-
पड़ोसियों के बोलियों को
अपने बल में ले लिया उसने
जिस दिन सफल हुआ वो
उसने सारा श्रेय
उनको ही दे दिया-
जो किया है वादा उसे निभाएं कैसे,
तुमसे मिलने की इच्छा को बताएं कैसे।
आग लगी है दरिया में उसे बुझाएं कैसे,
चली है जो पवन उसे रोकें अब कैसे।
लिख गया जो तक़दीर में उसे मिटाएं कैसे,
कोरे काग़ज़ पे तुझे समझाएं हम कैसे।
जज़्बात जो जाग उठे हैं उनको दबाएं कैसे,
इस दिल की लगी को दिल से लगाएं कैसे।
मिलना तो चाहा पर मिलने से डरते हैं"सारा"
करें तो करें क्या और बुलाएं तुम्हें हम कैसे।
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रह रहकर मिरे अरमां सनम यूं मोम से पिघलते हैं,
हम हैं के भरी बरसात में तेरे इश्क़ में जलते हैं।
जो अनकहा था वो तो अनसुना ही रहा है साहिब,
जो पत्रों में था लिखा उसे अपने इस दिल में रखते हैं।
तेरे नाम से जिंदा रखा है खुद को कुछ यूं सनम हमने,
अब तो बस तेरे ही ख्वाब मेरे जेहन में पलते हैं।
पतझड़ में सूख गईं थीं जो पेड़ों की डालियां "सारा",
उसी से फ़िर जाड़ों की रातों में अलाव सुलगते हैं।
मत कहो मुझसे बार बार के मोहब्बत है सिर्फ़ तुमसे,
मुझे सब पता है तितलियों के कैसे रंग बदलते हैं।
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All our lives we learn to unlearn & then
we forgets what we learnt throughout.
सारा जीवन हम भुला देना सीखते हैं, और
फिर हम भूल जाते हैं कि हमने क्या सीखा।— % &-
शायरी तो दिवानों की होती हैं, हम परिन्दों का ये सारा जहान होता है....
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यकीन मत करो ज़िन्दगी का,सांसे टूट जाती है
परदेश में बना ले बंगला तो,गांव की झोपड़ पट्टी छूट जाती है
ये पैसा भी अजीब चीज है,जिसके पास आ जाए
उसके जेब और दिमाग में गर्मी आ ही जाती है
अब तो वाट्सएप फेसबुक मोबाइल का ज़माना है
बूढ़े बुजुर्ग के साथ बैठ कर कहा बातें कही और सुनी जाती है
लड़कपन में किए प्यार की कीमत कुछ नहीं होती
एक दिल में रहती है,दूसरी दिमाग में आ ही जाती है
किसी दिन अनाज की कीमत किसी गरीब भूखे से पूछिए
यहां तो शादी पार्टी में खाने की किस कदर बर्बादी करी जाती है
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