अब जा ही रहे हो तो,
मेरा कुछ सामान छोड़ जाना!
वो कप जिसमें रोज़ चाय पीते थे,
वो ले जाना अपने साथ,
छोड़ जाना अपने होठों के निशान,
कप पर नहीं, मेरे लब पर ही सही!
वो कम्बल जिसमें लिपट के सोते थे,
वो ले जाना अपने साथ,
छोड़ जाना अपने जिस्म की गर्मी,
कम्बल में नहीं, मेरे बदन पर सही!
वो काली शर्ट जिसे पहन कर मिले थे पहली बार,
वो ले जाना अपने साथ,
छोड़ जाना वो अपनी खुशबू,
शर्ट पर नहीं, मेरे तकिए पर ही सही!
अब जा ही रहे हो तो,
मेरा कुछ सामान छोड़ जाना,
तुम नहीं, तुम्हारी यादें ही सही!-
1 FEB 2019 AT 9:04
30 NOV 2020 AT 21:06
तुम कैसे रईस हो हुज़ूर ऐसा क्या सामान है
दर्द-ए-दौलत पास मेरे मुझे इसका गुमान है-
25 JUL 2017 AT 1:42
ख़ुद को 'ख़ुद से' निकाल फेंका है
अब तेरा कोई सामान नहीं मेरे पास
- साकेत गर्ग-
14 AUG 2017 AT 21:22
इल्जाम अभी कुछ लगने हैं
कुछ लीपापोती होनी है
सामान अभी कुछ बंटने हैं
कुछ छीना-झपटी होनी है
कुछ नन्हें तारे टूटे हैं अम्बर से
अभी उनकी शिनाख़्त होनी है
कुछ हत्यारे लिपटे हैं खंजर से
अभी उनपे सियासत होनी है-
10 AUG 2017 AT 0:32
नज़र फेरने लगे पुराने ख़रीददार भी
इस दुकान में अब और सामान नहीं
- साकेत गर्ग-
21 NOV 2018 AT 8:44
खो कर सम्मान, सामान बन गया हूँ
अपने ही घर में, मेहमान बन गया हूँ
बू आ रही मुझसे, कर दो मुझे बाहर
लगता है जैसे, कूड़ादान बन गया हूँ-
18 APR 2020 AT 9:05
चला गया है कोई
इश्क़ का सामान छोड़कर
कुछ मुरझाये हुए फूल हैं
और एक टूटा हुआ दिल।-
19 AUG 2019 AT 2:20
इश्क़ लिखना आसान हो गया है
आशिक हर इंसान हो गया है
जहाँ देखो इश्क़ दिख जाता है
सस्ता ये सामान हो गया है-