आख़िरी पन्ने तक आते आते
कहानी धीमी हो जाती है।
कुछ ऐसा ही है
अपना दिसम्बर।
चलो इस जमी हुई धूल को
साफ कर लेते हैं।
शायद चमकने लगे
ये दिसम्बर जनवरी सा।-
जिसे रात दिन मैं देखा करूं
सपनो में तू मेरा वही
अधूरा ख्वाब है ।।
मानता हूँ लुक मेरा बैड बॉय
वाला है मगर दिल का ये
N®J साफ है ।।
अरे चुराने को तो अब भी
चुरा सकता हूँ सीने से
दिल तेरा...
मगर मेरी माँ ने बचपन से
सिखाया है मुझे की चोरी
करना पाप है।।-
धुआँ नफरत का, हर ओर फैला
देखो हुआ है, हर दिल मैला
चलो साफ सबके दिल कर आएँ
ले आओ तुम मोहब्बत का थैला-
जब मैंने उतारा दोस्ती का चश्मा
दोस्तों के चेहरे साफ़ नज़र आये-
धीरे धीरे दिखने लगा सब साफ साफ है।
कौन कौन आज खड़ा सियासत के ख़िलाफ़ है।-
पहेलियों की तरह रिश्ते उलझाकर नहीं रखता हूँ
जिस भी रखता हूँ सच्चा साफ रिश्ता रखता हूँ ।
इन रिश्तों की भीड़ में
इसलिए मैं रिश्ते कम ही रखता हूँ ।
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*मन*
मन कुछ नहीं बस विचारों का संग्रह है।विचार ख़ुशी प्रदान करते हैं।
इसीतरह विचार ही हैं,जो हमें निराशा के समंदर में फेंक सकते हैं।
जब हम अपने घर को साफ रखना पसंद करते हैं,तो हम क्यों
अपने मन को उतना ही साफ और चमकदार नहीं बनाते हैं।-