जब किसी धनहीन कुल के
मुखिया की अकस्मात मृत्यु होती है,
तो उस समय उस परिवार में एक नहीं
बल्कि दो दो अरथियाँ एक साथ उठती हैं,
एक मुखिया की और दूसरी उस कुल के
अल्पवयस्क बच्चों के सपनों की।
लेकिन ये दूसरी अरथी परिवार के
अतिरिक्त किसी अन्य को नहीं दिखाई देती है।
उन बच्चों के लिए इससे अधिक और
दुखदायी क्या बात हो सकती है
जो खुली आँखों से बाप की चिता जलते देखते हैं
और बन्द आँखों से अपने सुनहरे सपनों की
और ऐसे में न आँखें खोल ही सकते,
न बंद ही कर सकते हैं...
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