शून्य ⚫   (भागीरथ "शून्य")
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Joined 1 April 2018


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5 DEC 2020 AT 21:58

भीख पर करना नाज मुझे मंजूर नहीं
ऐ दुनिया तेरा ये रिवाज मुझे मंजूर नहीं

उम्र पूरी बेताज ही काटनी है यहां
एक दिन का सिर पे ताज मुझे मंजूर नहीं

रिश्तों में रस्म रिश्ते की ही होनी चाहिए
लेन-देन के रस्मों रिवाज मुझे मंजूर नहीं

रख कर गिरवी खुद को कहीं पर
दिखावे का कामकाज मुझे मंजूर नहीं

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29 NOV 2020 AT 22:50

"रिश्ते"
स्वांग नहीं
समर्पण चाहते हैं !
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29 NOV 2020 AT 22:28

आंधियों से कह दो संभल कर आये
रेत से नहीं अब चट्टानों से टकराना है

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29 NOV 2020 AT 9:07

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यहां
पत्थर भगवान है
और
आदमी पत्थर !
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27 NOV 2020 AT 8:16

घरौंदे के लिए आखिर यहीं पर आना पड़ेगा
आसमां के परिंदों को ज़मीं पर आना पड़ेगा

सहारे कहां मिलते हैं इस जमाने में यारों
संभलने के लिए हमें हमीं पर आना पड़ेगा

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25 NOV 2020 AT 9:32

तू मुक्त गगन का उड़ता पंछी
मैं ज़मीं पे ठहरा शजर कोई !

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25 NOV 2020 AT 9:15

जिंदगी और दुनिया दोनों के साथ चलना पड़ता है
कभी जिंदगी को कभी जमाने को लिखना पड़ता है

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25 NOV 2020 AT 9:05

मोहब्बत,शोहरत,दौलत तेरे ख्वाब क्या-क्या है
बेबसी,बेकसी,मुफलिसी मेरे पास क्या-क्या है

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13 NOV 2020 AT 9:26

मत कर नुमाइश घावों की मरहम की चाह में ;
लोग नमक लिए बैठे हैं यहां घावों के लिए !

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26 OCT 2020 AT 18:50

सफ़र में हमसफ़र पुकारे नहीं जाते ;
मंजिल एक हो तो कदम खुद मिल जाते है !

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