चीरहरण हुआ है उसकी भावनाओं का
अब वो चुप ना रहे,, तो क्या करे?
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समझो तो बहुत कुछ हूँ मैं
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कल्पनाओं का कारावास भुगत रहे मनुष्य के लिए किसी भी स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं
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माँ के प्यार से लेकर
पिता की प्रेरक बातों तक,
दोस्तों की टोली से लेकर
स्कूली किताबों तक,
हर जगह अपना अभिनय निभाती है।
माँ भारती के माथे पर सुशोभित
हिन्द की शान हिन्दी
हिन्द की जान हिन्दी
माँ भारती का मान बढ़ाती है।
~अन्जू त्रिपाठी-
मन समझने का दावा करते हैं वो,
जिनसे हमारा मौन भी नहीं समझा जाता !-
मुस्कुराते हैं चेहरे...मगर दिल उदास है
खुशी की यहाँ...हर किसी को तलाश है।-
बोझ ज़िंदगी का ऐसे ढो रहे हैं,
होठों पर हँसी लेकर हम रो रहे हैं,
जो आएगा न वापस लौटकर कभी
राह में बाट उसी की हम जोह रहे हैं।-
ज़रा देखो तो इन गुलमोहरों को
कैसे अपने जीवन पर इतरा रहे हैं,
हर पल झेल रहे हैं सूर्य की तपिश
फिर भी डाली पर मुस्कुरा रहे हैं!-
'यही जीवन है'
हर पल रुला रहा है जीवन
घावों पर मरहम लगता नहीं,
चलते चलते पाँव थक चुके
ठहराव कोई मिलता नहीं।
जिसकी आस में तपे धूप में
उसने कभी न छाँव दिया ,
कोई वक्त पर काम न आया
ना ही किसी ने भाव दिया।
कौन अपना- कौन पराया
हर कोई दांव चल जाता है,
देखकर अपनी दीन-दशा
ये मन बड़ा ही पछताता है।
दर्द मिला है इतना जग से
कहे कहा नहीं जाता है,
आंसुओं संग हंसते रहना
बस यही जीवन कहलाता है।-