ज़रा लगा दो मेरे नाम का भी सट्टा कोई, आज भरे बाज़ार में
उसने जाते-जाते मुड़ कर देखा है मुझे, आज भरे बाज़ार में
- साकेत गर्ग 'सागा'-
आज़मा लूँ मैं भी कभी किस्मत को,
क्योंकि सुना है कि सट्टे कभी इत्तेफाकन लगते है...!-
'द्यूत हुई ना सगी किसी की'
द्यूत हुई ना सगी किसी की
बर्बादी की डगरी हो
शुरू करे ये जीत हार छुट
पहुँचे यम की नगरी हो
पांडव बिके मोल दुइ कौड़ी
कौरव वंश उजेड़ी हो
बिके नारिनर लज्जा उजड़ी
आँधर भये जुएड़ी हो
(पूरा विचार कैप्शन में पढ़े)-
सट्टे में सिमट कर रह गयी... दोस्ती तेरी मेरी
बदकिस्मती से
एक दांव तूने भी खेला था...
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मोहब्बत के सट्टा में
इश्क़ मिल जाए तो सत्ता है
ना मिले तो ख़ता है।-
सट्टे से भी बदलती है जिंदगी
बहुत करता था वो मोहब्ब्त लोगो से
लेकिन कोई उसको समझ न पाया
बहुत देता था साथ वो सबका
लेकिन वो जब मांगने गया हाथ तो किसी का हांथ न पाया
किस्मत अपनायी उसने जुए के बाज़ार में
करता गया किस्मत पर यकीन उसने
अपने इस प्यार में
बरसने लगा पैसा तो वो आज सबको भाता है
लेकिन क्या करे वो बिचारा
जो सबके झूठे चेहरों को देख कुछ भी भुला नही पाता है-
चूम लूं मैं लबों से अपने ये आँखें तेरी,
बेचैन कर दूँ मैं सारी रातें तेरी,
खून बनकर समां जाऊं मैं तेरे जिस्म में,
बनकर दिल तेरा मैं महसूस करूँ सांसें तेरी..!!
सुखदेव बिश्नोई
8209672882
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