तुम्हें देखें और तेरी खुबसूरती की तारीफ भी ना कर सके हम,
जानेंमन अपने दरमियान फासले इतने भी ना बढ़ाए।
गर तुम्हें शिकवा है मेरी अल्हड़ मोहब्बत बाज़ी से
मेरा दिल तो है नादान, फिर आप ही इसे दुनियादारी सिखाइए।
वो इक बार जो तुमने अपने मेहंदी वाले हाथों से मेरे बाल संवारे थें ना,
वो इक बार जो तुमने अपने मेहंदी वाले हाथों से मेरे बाल संवारे थें ना,
जब जा ही रहे हैं, तो हमारी सांसों से वो हिना की खुशबू भी लेते जाइए
सुखदेव बिश्नोई
8209672882— % &-
सोचता हूं अब तुझसे बात कम ही किया करुंगा, डरता हूं कि मुझे तेरी आदत हो रही है,
तुझको देखें, तुझको चाहें मगर तुझको पा ना सके, मेरे लिए तो जैसे तूं एक आफत हों रहीं हैं
वो साड़ी, वो मोती,वो आंखें,वो काजल
ना जाने किस पर इनकी इनायत हो रही है
ओर ना चाहते हुए भी तुझसे जुड़ा जा रहा है ये,
दिल की भी अब दिमाग से बगावत हो रही है।
उनसे कह दो की जुल्फों को ना भिगा यूं झटकें
उनसे कह दो की जुल्फों को ना भिगा यूं झटकें
तौबा कयामत के दिन के पहले ही कयामत हों रहीं हैं।
सुखदेव बिश्नोई— % &-
सोचता हूं अब तुझसे बात कम ही किया करुंगा, डरता हूं कि मुझे तेरी आदत हो रही है,
तुझको देखें, तुझको चाहें मगर तुझको पा ना सके, मेरे लिए तो जैसे तूं एक आफत हों रहीं हैं
वो साड़ी, वो मोती,वो आंखें,वो काजल
ना जाने किस पर इनकी इनायत हो रही है
ओर ना चाहते हुए भी तुझसे जुड़ा जा रहा है ये,
दिल की भी अब दिमाग से बगावत हो रही है।
उनसे कह दो की जुल्फों को ना भिगा यूं झटकें
उनसे कह दो की जुल्फों को ना भिगा यूं झटकें
तौबा कयामत के दिन के पहले ही कयामत हों रहीं हैं।
________
सुखदेव बिश्नोई— % &-
मैदान में उतरने से क्यों तु डरता है !!
लोहा तो ज़र्ब खा के तलवार बनता है !!
चिल्लाने से तो खामोशी अच्छी है मगर
मुँह खोलने से दुनिया में काम बनता है !!
सुखदेव बिश्नोई की क़लम से
8209672882
-
तुम लिखना मेरे नाम कई खत
मैंने एक दस्तावेज बनाया है
तुम्हारे मेरे नाम लिखें
सारे ख़त सहेजने के लिए!!😌
~सुखदेव बिश्नोई
8209672882 ✍️
-
तुम लिखना मेरे नाम कई खत
मैंने एक दस्तावेज बनाया है
तुम्हारे मेरे नाम लिखें
सारे ख़त सहेजने के लिए!!😌
~राधिका बिश्नोई✍️
-
जिस्म को जिस्म की ही तलाश है
इसे इश्क न कहो ये महज प्यास है
Sukhdev machra
8209672882-
यूं तो हमने घूम लिया सारा जहां
लेकिन तेरी गली की बात ही कुछ और है
सुखदेव बिश्नोई
8209672882-
चूम लूं मैं लबों से अपने ये आँखें तेरी,
बेचैन कर दूँ मैं सारी रातें तेरी,
खून बनकर समां जाऊं मैं तेरे जिस्म में,
बनकर दिल तेरा मैं महसूस करूँ सांसें तेरी..!!
सुखदेव बिश्नोई
8209672882
-
मैं हताश हूँ
पत्र भेजता हूँ, तुम उत्तर जल्दी देना:
बतलाओ क्यों तुम आई थीं मुझ से मिलने
आज सवेरे,
और दुपट्टा रख कर अपना
चली गई हो बिना मिले ही?
क्यों?
आख़िर इसका क्या कारण?-