आज सज सवर कर जब निकली वो..!!
हुआ दीदार इन आँखों को..!!
दिल का धड़कना तेज़ हुआ,
समझ ना आया आँखों को..!!
देख हुई मुस्कान, जो उनके ओठों पर,
समझ ना आया मुझे भी, देख के ओठों पर..!!
कर गयी मोहब्बत, वो और भी गहरी..!!
जब सुकूँ मिला, इन एहसासो को..!!
आज सज सवर कर जब निकली वो..!!
हुआ दीदार इन आँखों को..!!-
महफ़िल सज गयी है सालगिरह पर गुलज़ार की,
मुकम्मल लग रही है ये शब भी अब गुलज़ार सी।-
कुछ सुर छेड़ूँ
कि कोई साज़ बजाऊँ
बाँध लूँ या कि नूपुर पैरों में
चूनर ओढ़ लूँ मैं तारों भरी
और गाऊँ एक ख़याल
राग बागेश्री में।
बज रही हो मृदंग
जब मन के उपवन में
तो सज जाये संगीत
मन आँगन में।-
💕सज मत सांवरिया....नजर लग जायेगी....💕
💕बरसाने की गुजरिया..तुझपे मर जाएगी.....💕-
मत देख यू सज-धज कर आईने मे खुद को,
कहीं तेरी नज़र तुझको ही ना लग जाए।।-
मुद्दत हुई है
चेहरा-ए-यार
नही देखा,
न जाने सज
सँवर के कैसी
लगती होगी वो..!-
सज रही थी वो अपने सजना की खुशी के लिए
जो बदल गई एक सज़ा में उर्म भर रोने के लिए-
तूने निगाहों से यूँ छू लिया मुझको
कि नज़र नहीं हटती अब आइने से
सज गया यूँ रूप मेरा निगाहों से तेरी
कि नज़र छुपाती रहती हूँ अब ज़माने से।
-सारिका-
दिन की महफ़िल में, फिर से सज गया सूरज
बस रह गया पीछे चाँद, फिर से तनहा....
-सारिका-