उपवास करने से
तन हल्का हो जाता है,,
बकवास करने से
मन....
तो मित्रों सबसे बकवास करते रहें
😀😆😊
🙏राधे राधे🙏-
किस राह का पथिक हूँ
मैं क्या जानूँ,
किस राह में भटकूँ
न मैं जानू ,
किस -किस से पूंछूं
किस की मैं सच मानूँ,
कैसे इस दिल में रखलूँ,
कैसे मन को मैं समझालूं,
किस राह का पथिक हूँ
मैं क्या जानू।।
--संध्या
-
सूर्य की किरणे जाने को हों,
गगन में अन्धकार आने को हों,
लाल लालिमा झलक -मिलक रही,
न साँझ ,न शाम कहना
जब "संध्या" हूँ मैं वही।-
श्यामल संध्या में,प्रेम से सींचती,
एक नन्हें पौधे को,एक नन्ही कली।
एक धरती की गोद में पल रही है,
तो दूजी...माँ की गोद में है पली।-
अब संध्या को ख्वाब , आता नहीं ,
रिस्तों को दिल में कोई , सजाता नहीं ।
कि इतना बुरा हो गया ये इंसान ,
अब मेरे दिल को कोई , भाता नहीं ।
किस्से मुहब्बत के पेचीदा हो गए ,
अब इन्हें भी कोई हमें , सुनाता नहीं ।
लग रही आग अब रिस्तों में भी ,
ग़र इन आगों को कोई , बुझाता नहीं ।
लिख दूँ कभी गलती से नाम उसका ,
तो कागज भी मुझे अब दिखाता नहीं ।-
गोरज भस्म में नहाकर संध्या काल निमित्त मैं आकर
ओ बनवारी श्याम बिहारी माखन मिश्री भोग लगाकर
करती हूँ तेरी वंदन हे मुरारी भक्ति विवश आत्म क्रंदन
सुन पुकार मेरी करुण अपार बांके बिहारी मुख वंदन-
गोधूली बेला की इस से अच्छी तस्वीर भला क्या होगी
देवालय के समक्ष गौ माता और सूर्यास्त हो रही होगी-
संध्या निमित्त दीपदान सर्व कर्म सुफल मनोरथ धाम
निज मन चितवन हृदय सुमंगल इष्ट मनोरम एक नाम-
सप्त अश्व स्वर्ण रथ सवार दिनकर जा रहे हैं करने को विश्राम
यामिनी नृत्य प्रस्तुत करेगी तम के समक्ष जुगनूओं के आयाम-