अच्छी संगत कीजिये बस सदगुण की रखो खान।
अपने भाव हमेशा प्रिय रखो त्याग देव अभिमान।
मन को बस में कीजिये तुम भटकाओ मत ध्यान।
आदर सबका कीजिये फिर खुद पाओगे सम्मान।
स्थिर कुछ भी है कहाँ समरसता से जीवन जिओ।
ऊँच नीच कुछ भी नहीं हैं सब में एक जैसे हैं प्रान।
विद्या धन अर्जित करो बाकी धन हैं सब बेकार।
झूठी जग की रोशनी सच्चा है आत्मा का ज्ञान।
यहाँ आस मिटेंगीं सब तेरी खुद में रहना सीख ले।
आंखों देखी है चेतना तेरे अन्दर है सच्चा मेहमान।
अच्छी संगत कीजिये बस सदगुण की रखो खान।
अपने भाव हमेशा प्रिय रखो त्याग देव अभिमान।
प्रधुम्न प्रकाश शुक्ला
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अर्थात् कर्म करते रहो चाहे,
कोई सम्मान करें या न करें..
क्योंकि.....
सूर्य जब उदय होता हैं तब,
करोड़ों लोग नींद में होते हैं,
फिर भी सूर्योदय होता हैं...
क्योंकि...
जो कमियां हम दूसरों में निकालते,
पहले हम अपने आप को देखें क्या,
हम सही है...
क्योंकि
कमल कीचड़ में रहकर भी,
खिलता है....
- नीलम विश्वकर्मा -
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इंसान ने चुनी संगत और खोया खुद को बुरे या बेहतर के लिये,
अकेलेपन ने चुना इंसान और बनाया उसे बेहतर हर हाल के लिये ।-
बुरी संगत से अपना आज और कल मत खराब कीजिए
अच्छी संगत ही अच्छे शिष्टाचार का आधार है
ज़िन्दगी की परेशानियों से निराशा हो जाओ
या कभी मंजिल से राह भटक जाओ
उचित और अनुचित में फर्क भूल जाओ
तो अच्छी संगत से भी मार्गदर्शन ही सकता है।
हमारी प्रगति और प्रोत्साहन में भी सहायक ही सकता है
इसलिए अच्छी संगत कीजिए
अपनी ज़िंदगी के कुछ पलों के उन्हें भी दीजिए
और अपनी ज़िन्दगी को खुशियों से परिपूर्ण कीजिए।
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अच्छी संगत कीजिए,जन्म सफल होए।
दुश्मन भी मित्र बन सके,संसार सुखी होए।।-
जीवन मे गिद्धों की संगत मिले तो फिर भी ठीक है,
कम से कम वे देह नोच कर खाते हैं
पर ऐसे लोगों की संगत न दे ईश्वर जो ज़हन नोच कर खा जाते हैं और आह भी नहीं भरते...!-
क्रोध में बोला हुआ एक शब्द
इतना जहरीला हो सकता है की,
आपकी लाख प्यारी सी प्यारी बातों को
एक पल में तबाह कर सकता देता है !!
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भुलाने के लिए उनको हदें सारी मिटा दी हैं,
ज़माना फिर भी कहता है कि हम तेरे दीवाने हैं....
Penned by: आरव विवान-
मिले जो संस्कार, हो न कभी बदनाम.
अच्छी संगत कीजिये, बनेंगे सभी काम.-