नए साल की शुभकामनाएं !
खेतों की मेड़ों पर धूल भरे पाँव को
कुहरे में लिपटे उस छोटे से गाँव को
नए साल की शुभकामनाएं !
कोट के गुलाब और जूड़े के फूल को
हर नन्ही याद को हर छोटी भूल को
नए साल की शुभकामनाएं !-
नए साल की शुभकामनाएं !
खेतों की मेड़ों पर धूल भरे पाँव को
कुहरे में लिपटे उस छोटे से गाँव को
नए साल की शुभकामनाएं !
कोट के गुलाब और जूड़े के फूल को
हर नन्ही याद को हर छोटी भूल को
नए साल की शुभकामनाएं !
उनको जिनने चुन-चुनकर ग्रीटिंग कार्ड लिखे
उनको जो अपने गमले में चुपचाप दिखे
नए साल की शुभकामनाएँ!-
मुरली मनोहर विश्व का धरोहर ,
मुरली की आवाज में
झूम उठे ये बहार
कृष्णा जिनका नाम
सतयुग जिनका धाम,
ऐसे प्यारे कृष्णा कन्हैया को
हम सबका प्रणाम🙏🌷...-
है जन्म दिवस की तुम्हे ढ़ेरों बधाई,
नही कभी तेरी सफलता में देरी हो।
खुशियों से भरी रहे तेरा घर अंगना,
बहना सुखमय जीवन सदा तेरी हो।।
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है ये कच्चे धागों का बंधन
टूट के भी कभी नहीं टूट पायेगा....
रक्षाबंधन की शुभकामनाएं-
हुआ देर सही कुछ अबेर सही, पर जन्म दिवस की ढेरों बधाई।
रहे कृपा प्रभु का तुझ पे सदा, हो जीवन से तेरे गम की विदाई।।
🎉Happy🎂Birthday🎊
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यह हंसती जगमगाती रात सब रातों की रानी है ...
तुम्हारी राह हो उज्जवल दुआ यह दिल ने मांगी है ...
हजारों दीप खुशियों के जला कर मुस्कुरा लेना...
जला कर लौ मोहब्बत की अमावस को भगा देना...-
सुनो..
याद है पिछली दिवाली हम साथ ही थे मन्नतो के ढेर सारे दिए जलाकर मुस्कुराए थे
आज हम साथ नही लेकिन रात और मेरे दरमियां कोई खामोशी नहीं है ।
तुम्हारी बातों की फुलझड़ियां गूंज रही हैं कानों में ...
यादों के झोले से कुछ रंगीन यादें निकाल कर एक रंगोली भी बनाई है।
देखो आज तुम्हारे होने ना होने का फर्क फिर मिटा दिया मैंने...
उम्मीद का दीया जलाकर मन आज भी उसके चारों तरफ सात फेरे लेता है ।
प्रेम महज प्रेम होता है कोई चुनाव नहीं बस इतनी सी बात तुम्हें नहीं समझा पाई...
लेकन वो दिया जो हमने साथ जलाया था आज भी यूं ही झिलमिला रहा है ..
तुम कहीं भी रहो किसी के साथ रहो मगर मैं जानती हूं..
दिए की झिलमिलाहट और उसकी रोशनी
कभी हमारे साथ को मिटने नहीं देगी।
सुनो तुम्हे दिवाली मुबारक हो...-
हृदयांगन पल्लवित कोमलांगी कलिका सी तुम,
स्नेहसिक्त अहसासों से परिपूर्ण अनविका सी तुम।
कभी साहस की प्रतिमूर्ति बन सूर्य-आभा सी दीप्त हो,
तो कभी पत्तों पर पड़ी नन्ही-नन्ही मिहिका सी तुम ।
निश्छल मन से महकाती हो घर के आंगन को ,
उम्मीद के आसमां की चमकती हुई निहारिका सी तुम।
टूटती हुई आशा को हौंसले का दामन थमाती हो,
निराशा के कुहासे में प्रज्वलित वर्तिका सी तुम।
दुनिया जहान के लिए चाहे तुम आम सही ,
पर मेरे लिए कोई सलोना स्वप्न अद्विका सी तुम।
.......... निशि..🍁🍁-