बड़ा ही शायराना अंदाज़ हैं, उनका..
... मेरी आंखों का पजल्स, गजल लिख कर सुलझाया करते हैं, 'वो'..!-
आज मिज़ाज कुछ शायराना है,
स्वभाव से सीधासादा हूँ पर,
अँदर बैठा एक दीवाना है !!
गुले गुलज़ार होके,
कोई हमसे भी दिलकश बातें करे,
अब तो इसी का जमाना है !!
नज्मों के अफसाने बटोर लाया हूँ,
थोड़ी और जुस्तजू करलें ।
कुछ तुम कहो कुछ हम कहें,
या नजरों से गुफ्तगू करलें !!-
शायरों की शायराना महफिले है कातिलाना
इश्क़ का है तराना काफिरों सुनने आना
मिलन की सरजमीं से बिछड़न की फरमाइसो तक
बेहिसाब मोहब्बत से धोखे की गहराईयों तक छू गया हर पहलू हर ठिकाना,इश्क़ का है तराना काफिरों सुनने आना,
शायरों की शायराना महफिले है कातिलाना
इश्क़ का है तराना काफिरों सुनने आना
मिले हुए इश्क़ की मोहब्बत से बिके हुए इश्क़ की तन्हाइयो तक बेहिसाब ख्वाब और तन्हाइयों की गहराइयों तक छू गया हर पहलू,हर ठिकाना,इश्क़ का है तराना काफिरों सुनने आना
शायरों की शायराना महफिले है कातिलाना
इश्क़ का है तराना काफिरों सुनने आना
रूह की गर्दिशों से जिस्म की नुमाइशों तक बेहिसाब खुशी से दर्द की गहराइयों तक छू गया है हर पहलू हर ठिकाना,इश्क़ का है तराना काफिरों सुनने आना
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हर दिल में उदासी है, हर दिल शायराना है
ऐसा लगता जीवन मुसीबतों का घराना है
यहां खुल कर हंसता नहीं कोई
गर खुशियां भी बांटो तो
फिर लोग कहते हैं जालिम ये जमाना है-
बिस्तर की सलवटें बयान कर रही रात का अफ़साना हैं,
सुर्ख आँखे, दबी साँसे, झुकी नज़र सब शायराना है!!
उन गुलाब की पंखुड़ियों की महक अब भी है कमरे में,
लफ़्ज़ों की मोहताज नहीं बातें, इशारे सब कातिलाना है!
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की सौगात क्या दू समझ नहीं आता ।।
मगर मेरे खुदा मेरी बहन को हमेशा सलामत रखना ।।-
की अब सदिया बीत गई ,,बात नहीं हो पाती है
जब खुदाई हमसे रूठ सी जाती है
ऐसा लगता है मानो दुनिया वीरान हो चली थी
मगर छोड़ो अब खुश हूं ,, वो कल फिर मिली थी ।।-
आपकी तो बातों में ही नशा है मोहतरमा
जब भी बतियातें हैं, शायराना हो जाते है...!-
जिंदगी जी रहा हूं कुछ इस तरह
आज अपनो से भी अपनापन मांगना पड़ता है । ।-
शायराना दिल भी अकड़ता है उन घमंडीयों से
जो गरीबों को देखते है नफ़रत भरी निगाहों से।-