QUOTES ON #वो

#वो quotes

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20 JAN 2020 AT 17:45

बनके फूलों की खुशबू
वो मेरे पास आई थी |

छोड़ गई थी जिसे एक ज़माने ,

उसे ले जाने
आज खुशियों का ब्वांडर अपने साथ लाई थी |

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16 JUN 2021 AT 0:23

उसकी आंखे सवाली लगती थी मुझे ,उसके होंठ मुकम्मल जवाब भी ,

वो गुलजार की गजल सरीखा भी था ,और खुसरो की पहेली का हाल भी !!

❤ ❤ 💔 ❤ ❤

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2 MAY 2021 AT 13:37

वो धीरे धीरे मुझसे प्यार करने लगी है...
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11 MAR 2021 AT 9:25

कैसे कह दुँ मैं.........कि मेरी हर दुआ बेअसर हो गयी,

मैं जब भी चुपके से रोया मेरे भोलेनाथ को ख़बर हो गयी।

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18 MAR 2021 AT 14:20

वो मुझे पसंद करने लगी है
मेरी बातों को,मेरे यादों को
मेरे पागलपन को,मेरे पसंद ना पसंद को
मेरे हर लम्हों को वो क़ैद करना चाहती है
अपने नज़रो में कि
वो मुझे पसंद करने लगी है...

वो मुझे follow करती है
राहों में मेरा घण्टों इन्तज़ार करती है
मेरी एक झलक के लिए
वो ठहर जाती है एक पल के लिए
कहीं मैं उसके आसपास तो नहीं
मेरी मुस्कुराहट को देखकर
उसका चेहरा खिल उठता है
फिर भी
मैं उसे ignor करता हूँ,
मुझे पता है कि
वो मुझे पसंद करने लगी है...

मेरे style को,मेरे तरीकों को
मेरे इशारों को,मेरे नज़रों को
वो मुझे copy करने लगी है
मेरे दोस्तों से कहती है वो
कोई मुझसे उसे चुरा नहीं सकता
मैं उसे पसंद करने लगी हूं..!

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25 JAN 2020 AT 7:16

ज़िन्दगी इक ख़्वाब है
रोज़ देखने को मज़बूर हो जाता हूँ,
बस रात भर की सारी जद्दोज़हद है
सुबह चूर-चूर हो जाता हूँ.. !

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23 JUL 2018 AT 9:02

वो मेरी जान है
ये जानकर भी
जानबूझकर
अंजान बनकर
वो मेरी जान
लिए जा रही है।

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6 JUN 2020 AT 13:34

कहीं तो आज भी होगा ना
उसका नाम लिखा...,

वहीं कहीं.. किसी बस की सीट पऱ
या वो... खोदा हुआ किसी पेड़ पऱ,
...स्कूल के किसी बेंच पऱ या फिऱ
वो... वहीं कहीं किसी...
दो-एक रुपए के नोट पऱ,
किसी पन्ने पर...पत्थर पर..

शायद कहीं तो..., आज भी होगा ना
उसका नाम लिखा...!

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28 MAR 2018 AT 18:58

लतीफ़ों के सहारे
वो अपना सारा दर्द छुपाता हैं ,
कैसे समझाऊं मैं उसको
कि हस्कर , मुझे सबसे ज्यादा रूलाता हैं |

हैं वो इतना समझदार
कि दुनियां भर की बातें बनाता हैं ,
अगर कह दू कि मैं हूं उसके साथ
पता नहीं , उसे क्या हो जाता हैं |

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19 JUN 2021 AT 9:09

मेरा चेहरा तो वोही है पऱ
शायद आकर्षण पहले सा नहीं रहा अब,
ना जाने क्यूँ उसकी मुहब्बत में
वो समर्पण पहले सा नहीं रहा अब,

अब.. उम्र को मैं दोष दूँ
या फिऱ वक़्त ही शायद बदल गया
या उसकी चाह की दिशा बदल गयी
या फिऱ दर्पण पहले सा नहीं रहा अब,

बूँद-बूँद बह नीर गया
ज़िन्दगी के बहाव में...
वो.. परिवर्तन पहले सा नहीं रहा अब,
मिट्टी के घड़े थे.. टूट गये
"मैं" बर्तन पहले सा नहीं रहा अब!!

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