"छोड़ना ही था मेरा हाथ जिंदगी की राहों में...,,, तो ऐसी जगह छोड़ते,, जहां देखने को कोइ मंज़र होता........!"
कसूरवार होती अगर मै,, प्यार की राहों में...,,, तो बेशक मेरे हाथों में विश्वासघात का खंजर होता.........!"
सुनी सुनी है मेरी दुनिया...,,, उदासी ही उदासी छा गई है चारों तरफ....,,! गर... तुम्हें भी होता मलाल मेरी दूरी का....,,,
"तो इतनी हरियाली ना होती चेहरे पर तुम्हारे,, यकीनन दिल का नगर बंजर होता........!"-
जो खुद गलती करके रूठ जाये
उसे मनाना क्या?
जिसके लिए भावनाएँ ही नहीं है
उसे प्यार जताना क्या?
मैं तो खामोश हूं क्योंकि खुदा और वक्त सब जानता है
अब गुनहगार को भी उसका गुनाह बताना क्या?-
विश्वासघाती...
चलो आज धोखे की बात करते है ।
ठीक हुए ज़ख्मों को खुद ही खरोचते है ।।
समय मिला कभी तो गैरों की बात करते है ।
वरना तो धोखो में अपने हो करामते करते है ।।
कभी कहते हम साथ है तेरे तो डरने की क्या बात है ।
पर मुसीबत आने पे वहीं हमे पीठ दिखाकर भागते है ।।
कभी कहते भाई है तू मेरा तेरे लिए जान भी हाज़िर है ।
वक़्त आने पर यही भाई पहचानने से इनकार करता है ।।
ऐसी ही है यह दुनियाॅं, यहाॅं सभी मतलबी भरे है ।
कहते कुछ ज़ुबाॅं से, दिमाग में कुछ पले है ।।
यहाॅं देता हर अपना, बेगाना विश्वास की दुहाई है ।
पर विश्वास के चोले में, यहाॅं छुपे विश्वासघाती है ।।-
प्रेम नहीं थे तो कह देते विश्वासघाती न बनते
अनेक बिष है जीवन के ये बिष भी पि लेते,
कहाँ कुछ अच्छा और सच्चा इच्छा पूरा हुआ
कोशिश किया पर नाकाम रहा सो अधूरा रहा,
इतने पास पास नहीं हुए थे जो दूर हो जाएंगे
एक बार गले लग जाओ कभी दूर न होने देंगे,
कभी कभी दूर होने से प्यार है, मालूम पड़ता
कभी हाँ कभी ना में जिन्दगी के मायने रहता,
देख कर हाल क्या है दूर से लगाता अनुमान
मरहम की जुगाड़ से घाव कि करता निदान....-
विश्वासघाती
विश्वास एक आभास जिससे हैं कई उम्मीदें बन जाती,
विश्वास एक प्रयास जिसको पाने में जिंदगी निकल जाती,
अविश्वास एक कड़वा सच जिसकी वजह से जिंदगियां बिगड़ जाती,
अविश्वास एक आदत जिसको बदलने में खुशियां बीत जाती।
इस दुनियां को चलाए प्रभु में विश्वास से भरी वो दीप बाती,
इस दुनियां को चलाए ज़ल, वृक्ष,पशु - पक्षी और माटी,
इस विश्वास से ही तकलीफों में उम्मीद की किरण हैं खिल जाती,
अब साक्षात भगवान तो देखे नहीं लेकिन उनमें विश्वास से ही मन में उनकी संरचना बन जाती,
जीवित रहने के लिए हैं तो कई विकल्प लेकिन विश्वास के बिना कोई विकल्प की नहीं चल पाती,
धन हो भी परिवार में बहुत लेकिन विश्वास के बिना उस परिवार की एकता ना हैं टिक पाती,
अब विश्वासघात जो होता हैं उससे हैं उम्मीदें बिखर जाती,
बड़ा मुश्किल होता हैं इस मीठे बोल के जमाने में पहली बार में पहचानना कोई विश्वासघाती,
परख इंसानों की इंसान को बिना धोखा खाएं आखिर आ ही कहा पाती,
समझ आखिर जब तक खुदसे विश्वासघात ना हो इस मनुष्य को कभी नहीं आती,
दिल जीतके भी कैसे इनकी धोका देने की हैं फितरत बन जाती,
ईश्वर भी कभी सोचते होंगे क्या ऐसी होती हैं मनुष्य जनजाति।
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वो आए थे करने व्यापार और करने लगे राजनीति
हमें शत्रु बना अपनो का,वो स्वयं बन गए सभी के मित |-
याद है न, कितना दम होता है बातो में
बेवजह शक कर रही है, वो यादो में
तीन महीने बात क्या, नही किये
तू शक करने लगी, मेरी इरादों में-
माफ़ी
भरोसा तोड़ने की माफ़ी नहीं होती
सज़ा ए विश्वासघाती ओधा मिल जाती-