हमर भाखा मधुरस गुरतुर हे बोली,
ए छत्तीसगढ़िया पहचान हरय नोनी।-
दोस्तो के साथ बीते वक्त याद है।
आज की दौर में उस वक्त की क्या औकात है।।
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जिम्मेदारियों का उलझन कौन सुलझाएगा मेरे यार।
जब घर के बड़े बेटे करने लगे किसी लड़की से प्यार।।-
जिसके लिए सब कुछ कुर्बान है, जिंदगी मस्त है।
बचपन से साथ है, वो कोई और नही मेरा दोस्त है।।-
छोटी सी उम्र में भी बच्चे अपने पैरों में खड़े हो जाते है।
और जिम्मेदारियां सर पर हो, तो बच्चे भी बड़े हो जाते है।।
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यू बदले - बदले से क्यो हो साहब क्या बात हो गई। शिकायत हमसे है या किसी और से मुलाकात हो गई।।
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कोन कइथे की आप चाँद जइसे हो।
सच तो ये हे कि चाँद खुद आपके जइसे हे।।
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बेशक तोर से मोला ये कहा नई जाए।
मगर ये सच है कि....
*जान* तोरसे बात किये मोला रहा नई जाए।।
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उनकी जिंदगी भर की कमाई है तू उनसे ये मत पूछना की आपने कमाया क्या है।।
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जलने वाले को जलने दो, हम जला के ही रहेंगे।
अब फर्क नही पड़ता, की लोग क्या कहेंगे।।
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