किसी चीज पर आँख बंद करके किसी भी व्यक्ति, वस्तु या विचार पर विश्वास मत करना.....
मैं जो कह रहा हूं उस पर भी नहीं.....
- " Master G"-
चलो Password लगा देते हैं जिंदगी तुझ पर
लगा कर फिर भूल जाते हैं
सुना है मौत का OTP नहीं आता-
1.आ रही है नींद, रजाई उठानी चाहिए
इस रजाई में से फिर , गर्मी निकलनी चाहिए
2.आज मम्मी मेरी मुझे, फिर फटकार लगाने लगी
कहा मैंने उठ रहा हूं मैं ,ये चिमटा ले मारने लगी
3.हर खाट पर, हर रजाई में,हर घर, हर गांव में
ऐसा अत्याचार ना फिर , दुबारा ना होना चाहिए
--- Atheist ---
5.सिर्फ इगहाना जलाना मेरा मकसद नहीं
मेरी कोशिश है कि सबको राहत मिलनी चाहिए
6.नहा धो कर ही तुम विद्यालय में कदम रखो
यहाँ गंदे और फूहड़ों की भीड़ ना होनी चाहिए
7.मेरी रजाई में नहीं तो तेरी रजाई में सही
हो कहीं भी गर्मी लेकिन गर्मी होनी चाहिए
8. आ रही है नीद, 10 Minute और मुझे चाहिए
इस रजाई में से फिर , गर्मी निकलनी चाहिए-
आज कल कुछ चमचे बहुत शोर कर रहे हैं,
शायद जिओ और जीने दो Policy इनको रास नहीं आ रही-
कुछ का घर चलता है कुछ हज़ारों से
कुछ तो लाखों में भी पेट ना भर पाते हैं
कुछ के घर में छाया अंधियारा है
कुछ की आंखें रोशनी से चौंधियाती है।
कुछ तो पहनते हैं रेशमी कपड़े
कुछ की देह ठण्ड में थर्थराती है
कुछ तो रह रहे ऊँचे मकानों में
तो कुछ झोपड़ियाँ भी नहीं पाते है
कुछ तो पहुँचते एक पल में अस्पतालों में
कुछ की लाशें तो फुटपाथ पर ही सड़ जाती है
कुछ ही तो पढ़ सकते हैं निजी स्कूलों में
कुछ तो कलम कागज का मुंह भी ना देख पाते हैं..
कुछ का घर चलता है कुछ हज़ारों से
कुछ तो लाखों में भी पेट ना भर पाते हैं-
मां
धरती है, जन्नत है ,फूल है
दु:ख दर्द मेरा मां को कहां कुबूल है
ये पहली मोहब्बत मेरी
जिसके आगे सभी मोहबत्तें फिजूल हैं
मां
दुआ है, आशीर्वाद है
मां अकेली ही खुद में परिवारवाद है
मां को मत कर तू नाराज ओ नादान
वरना ना होगा अच्छा आगाज़ ना अंजाम
मां को समझ तू वक्त से,मत कर तू भूल
मां के बाद हैं इस जगत में शूल ही शूल
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मुझे हक है
दो गीत गाऊं सूरज ढलने से पहले
पहाड़ पर जाऊं
निशा के आने से पहले।
अम्बर से करूं दो बात
सिर झुकाने से पहले
काश !! मैं हंसू फिर एक बार
आंसू गिराने से पहले।
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Atheist Rajesh
एक और गम जुड़ गया मेरे गमों में
एक गम ये भी है कि गम कम क्यों हैं ?
कोशिश तो करूं इक गम को भुलाने की
फ़िर सोचूं मैं कि ये आंख नम क्यों हैं ?
दर्द को छिपा रहे हर सनम से
वो कहते हैं कि हम क्यों हैं ?
अगर है हवाओं में सर्दी
तो तेरा मिज़ाज गरम क्यों है ?
नहीं हैं गर चाहत तेरी कुछ भी
तो उम्मीदों का चिराग रगड़ा क्यों है?
नहीं तेरी कोई शमां जिदंगी में तेरी
तो तू बना परवाना क्यों है?
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आज कल कुछ अच्छा नहीं लगता
कोई चेहरा अब मुझे सच्चा नहीं लगता।
ना राह ना मंजिल कोई मेरी
वो मील का पत्थर मुझे अच्छा नहीं लगता।
आया है हकीम हाल जानने मेरा
तबीयत से खिलवाड़ अब अच्छा नहीं लगता।
कोई अल्फ़ाज़ आज कल किसी का, अच्छा नहीं लगता
आज कल कुछ भी मुझे अच्छा नहीं लगता।-
इंसान जन्म भी एक बार लेता है और मौत भी एक बार है....
लेकिन इस बीच वो मरा कितनी बार ये विचार करने योग्य है.....-