हुकूमत उनकी थी.....
मोहब्बत हमारी !!-
बाबुल के घर से चली पिया के घर को, अरमानों की डोली कहारो के कंधे पर!
गुनगुनाते, बतियाने का जिम्मा, दुल्हन हो जाये ना उदास, कहार के कंधे पर!
रानी की तफरीह, राजा का सैर, तो भी तलवार लटकी रहती कहारो के कंधे पर!
महाकाल का भ्रमण, माँ दुर्गा का विसर्जन, ये भी जिम्मेदारी, कहारों के कंधे पर!
छिल जाए कंधे, थक जाए चाहे पांव,पर रुकने पर खैर नहीं, कहारों के कंधे पर!
कुछ इनाम का लालच, कुछ वारी की उम्मीद, चलता है घर, कहारों के कंधे पर!
लूट गई अगर डोली, भूले अगर रास्ते, बेवजह की शामत, कहारों के कंधे पर!
रस्मों की दुहाई, परम्परा के नाम पर, कब तक होगा शोषण, कहारों के कंधे पर!
सर्दी, गर्मी, बारिश, हो चाहे पतझड़, कब आएगा सावन, कहारों के कंधे पर!
_राज सोनी-
संभाल रखी है साँसों ने
तब जाकर तुम जिंदा हो दुनिया की ज़िन्दगी में-
हासिल मैंने अब की
परछाईं से सीखा ख़ुद की
हर मुश्किल आसान की
विरासत ज़िन्दगी की
अगर चाहत हो पाने की
सुनना एक बार दिल की
हासिल हैं तुम्हे वो कब की-
विरासत की चीज़े पुराने घर में छोड़ जाना
उससे इश्क़ भी करना और ब्याह भी रचाना
- सुप्रिया मिश्रा-
मेरी विरासत, कुछ पुराने अहसास .
मेरी वसीयत, ये चंद अल्फ़ाज़ .
मेरा वारिस, ये पैग़ाम ए मोहब्बत .
मेरा वजूद , यादों में तुम्हारी ज़िंदा .
मेरी अहसियत, ये तुम्हारी वाह वाही .
कैसे कह दू कि, यतीम हूं मैं .
फ़कीर ही सही, पर सबसे अमीर हूं मैं .-
वह दौर खत्म अब रामायण का
वक्त है महाभारत का
पुरखों की विरासत
टुकड़ों में बाटी जाती हैं
भाई- भाई के बीच में
महाभारत करवाती हैं
प्यार पुरखो से नहीं
उनकी विरासतो से है
जिंदगी विरासत की है
एक दिन हम सब छोड़कर चले जाएंगे
आने वाले कल में हम नहीं
हमारे रखें विरासत ही याद आएंगे
-
मैं छाप हूँ अपने पिता के व्यक्तित्व की,
छूकर चरण उनके मस्तक से लगाता हूँ,
हूँ नहीं मैं कोई उम्दा लेख़क,
जितना समझता हूँ उतना ही लिख पाता हूँ।-
Pathar n khane k kam aata n pine k ,
Pani kam aata zindagi jeene k...-