कब तक विपक्ष की तरह दूर रहोगे ?
गठबंधन करके चलो सरकार बनाते है।-
जब साथ चर्चा करते है
तो मैं बेबस विपक्ष सा ,तुम्हें देखता ही रह जाता हूँ,
और तुम मोदी लहर सी, मेरी चाय भी पी जाती हो-
विपक्ष हमेशा अपना दुखड़ा गाती है
सरकार अंतरे पर तो वो मुखड़ा गाती है-
महबूब भी हमारी अब एक विपक्ष सी लगती है।
चिथड़े उड़ाकर मेरे दिल के, अब सबूत मांगती है।-
देती है संगीन आरोप वो सुप्रीम कोर्ट सी ठगती है...
करार देती है गुनहगार मुझे फिर सूली पे टांगती है ...-
ये हुड़दंग कब से वतन की पुकार होने लगी
सरकारें कब से देश की चौकीदार होने लगी ...
वफ़ा की जो बात करे कोई पूछो जरा उनसे
ये विपक्ष कब से इतनी वफ़ादार होने लगी .....
शान से ना कहो की कुछ खाया नहीं था हमने
बिल्लियाँ कब से दूध की पहरेदार होने लगी .....-
दोस्ती भी अब पक्ष, विपक्ष सी होने लगी है,
लगता है बाज़ार में चुनाव का माहौल है!!!-
मन सियासत की ओर भाग रहा है
पक्ष में नही बल्कि विपक्ष भाग रहा है।
फ़रेब़ से दूर सच्चाई की अोर भाग रहा है
शांति से दूर अशांति की आेर भाग रहा है।
सियासत की दरिदंगी से बेचैन भाग रहा है
राहत की जिदंगी की अोर भाग रहा है।
सोेच-विचार का समय चला गया, मन
कुछ कर गुजरने की चाह में भाग रहा है।
आस-पास जब दिखा कोई भी हाथ ना
दिखा हौसला अकेले ही आगे बढ़ कर
भाग रहा है
जो पलट कर देखा अपने परिवार
वालों को, अंजाम से डर कर "कायर" घर
भाग रहा है।
-- Shiwanshee & Ikraash
-