QUOTES ON #वार्तालाप

#वार्तालाप quotes

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उसकी रंगत का पता चंद फूलों से पूछ लिया
उसकी नजाकत का पता राहगीरों से पूछ लिया
मशहूर बहुत ही किस्से थे उस कदर दान के
उनके दिल तक पहुंचने का पता इन हवाओं से पूछ लिया

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4 DEC 2021 AT 18:40

कलम का कसूर है न मेरे दिल का कसूर ।
आज फिर उदासियों का कलाम किया है मंजूर ।

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31 MAY 2020 AT 7:31

✍️✨दहेज़ (嫁妆, Jiàzhuāng)✨✍️

दहेज़ की जरुरत ही क्या है!
हमें तो बस हाथ चाहिए था।✨ ...(१.१)

मेरे प्रिय पुत्र के लिए आपकी
सुपुत्री का साथ चाहिए था।✨ ...(१.२)

रिश्ते अच्छे हों यहाँ दहेज़ बेकार है।
एक बहु ही नहीं बेटी की दरकार है।✨...(२)

सोच समझकर फैसला करना, जल्दबाजी नहीं।
समय देख हमें भी परखना, ऐसे ही राजी नहीं।✨ ...(३)

देखा होगा शादी के बाद बहुओं को सताया जाता है।
सुबह की अखबारों एवं टीवी पर जो बताया जाता है।✨ ...(४)

बहु बेटियों की इज्ज्त करना परंपरा है हमारी।
उम्मीद है सब सही होगा तो न रहेगी बिमारी।✨ ...(५)

आपके उत्तर आपकी रायों से रूबरु होने का इंतज़ार रहेगा।
खूशी होगी एक परिवार बनाकर जहाँ पक्षों में प्यार रहेगा।✨...(६)

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18 JUN 2021 AT 13:30

'शिकायतें'.... अल्पविराम रिश्तों का
'मौन'...... बना पूर्णविराम हमारे बीच?

'कसैला'..... पर्याय निकटता का
'कटुता'..... बना अंतर हमारे बीच?

'स्पष्टता'..... नींव घनिष्ठता की
'संदेह'...... गुम्बद की छीछली ईंट हमारे बीच?

'अंतर'.....आवश्यक तथ्य चाल-ढाल का
'भेद'......प्रेम का घुन हमारे बीच?

'संघर्ष'..... कसौटी प्रेम की
'अर्थशून्य'..... तर्क क्यों हमारे बीच?

'निर्रथक'..... लिए अर्थ है
'अर्थ'..... खो रहा अर्थ हमारे बीच?

'तेजस्वी'..... भविष्य होने की संभावना
'निस्तेज'.... वर्तमान हमारे बीच?

'पीड़ा'.....शब्दों का बवंडर
'पीड़ित'..... शब्द हमारे बीच?

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24 NOV 2021 AT 23:56

पाक कलाम सी हैं बातें उसकी
मेरी मां आंचल में दुनिया रखती है

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1 JUN 2020 AT 14:08


लड़कियों को ही
शादी के बाद
अपना घर छोड़ना
पड़ता है। लड़कों को
क्यों नहीं ?

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21 FEB 2021 AT 21:11

"चार लाइने"

चलो आज कुछ गज़ब का लिखते हैं....
बीते पलों की चार लाइनो से शुरूवात करते हैं...

हम तो है अजनबी चलो आप से ही वार्तालाप करते हैं..
जो आते है हर पल याद उन्हीं लम्हों का विस्तार करते हैं....







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20 JUN 2020 AT 7:49

✨✍️वार्तालाप एवं सुधार✍️✨ (✍️ काल्पनिक रचना, २०/०६/२०२०)



ज़रा देखिए उस ज़ालिम को,
ज़रा सोचता ही नहीं है कुछ। ...✍️✨

आखिर क्या हुआ उस तालीम को
जिसे पाता था शिद्दत से रोज पूछ। ...✍️✨

कभी लोगों के मध्य मशहूर था वो,
धूमिल हो गई इज्जत न जाने क्यों? ...✍️✨


अब तो यूँ बातों बात में उसे बकवास पसंद था,
कारण यही थी कि लोगों के बीच नजरबंद था। ...✍️✨

हाँ, बिन अल्फाज़ों के अफसाना भी तो अधूरी है।
पर कुछ कहने से पहले सोचना भी तो जरूरी है। ...✍️✨

बक बक करने वालों की करोड़ों की तादाद है यहाँ,
विचित्र है यह बात विस्मित जो करती हमें बेइंतहा। ...✍️✨

वक्त, कब कैसे कहाँ, क्यों मोड़ लेगी, न किसी को है पता।
वार्तालाप कोई भी हो वह ऐसा हो कि न कोई भी हो खता। ...✍️✨

ज़रा थोड़ा ही करें सुधार न ज्यादा, मुझ "ऋषि" से देखा जाएगा।
पता जो है वह खुद ही गलत अभी, वह सुधर के फिर से आएगा। ...✍️✨

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1 JUN 2020 AT 15:17

दुनिया के सामने
आकर दर्द मज़ाक
ना बन जाये इसलिए
खामोशी से छुपाने
का हुनर सीख लिया

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