जो चाहा नहीं था वही हो रहा हूँ
बचा लो कि मैं आदमी हो रहा हूँ-
उम्रभर की बात बिगड़ी...
एक ज़रा सी बात पे
एक लम्हा.....
ज़िन्दगी भर की कमाई खा गया..!!!-
जो आसमां तले
धरती को बिस्तर समझ
हर रात
संघर्ष कर सोता है
मदद उसे चाहिए
जिसे एक वक़्त के
खाने का ठिकाना नहीं
फिर भी
अपनी ज़िन्दगी से
घबराता नहीं
मदद उसे चाहिए
जिसने जन्म दिया
उसने भी
उसे अपना माना नहीं
फिर भी
नियति के खेल से
खुद को असहाय समझकर
कभी घबराता नहीं
मदद उसे चाहिेए
खुदा ने जितना दिया
उससे ज्यादा छिन लिया
फिर भी
वगैर खुदा को कोसे
ज़िन्दगी के जंग में लड़ने से
कभी कतराता नहीं
मदद उसे चाहिए-
ख्वाहिश थी कि कभी ना दिखें वो चेहरा दोबारा,
मगर दर्द की बारिश ने किया सब कुछ दोबारा।
जिन राहों को छोड़ा, वो मंजर फिर दिखने लगे,
दिल के उजालों में अंधेरों के साए रहने लगे।
जिसे भुलाने की चाह में हम खुद को मिटा बैठे,
वही जख्म दिल में हमारे और गहरे बसा बैठे।
सोचतें है क्यों दर्द देने वाले ही करीब आ जाते हैं,
और सुकून के पल बस ख्वाब बनकर रह जाते हैं।
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वो जो इस तपती सुलगती
बंजर-सी सूखी-सी
ज़मीन को
है ना
दूर
मीलों दूर
उन काले बादलों में
दुबकी छुपी-सी बैठी
उस नन्ही-सी बारिश की बूँद से
हाँ
हाँ! मुझे 'वही' है तुमसे
आज भी
बस वही है तुमसे
- साकेत गर्ग 'सागा'-
सफलता की बुलंदियों को छूते हैं
और सफल वही होता है
जो समय के साथ चलता है
और फिर...
समय उनके साथ चलता है-
वो बरसात भी क्या खूब थी जब तुम साथ थे,
आज फिर से वही रात, पर तुम नहीं सिर्फ बरसात है।-
वही रात वही तारे है
वही प्यार का मौसम
वही बहारें हैं
वही चाहतें वही हसरतें हैं
कितने मौसम बीत गए
पता ही नहीं चला दिल में अभी यादें हैं-