मेरे वज़ूद के
पन्नें का
लफ़्ज़-लफ़्ज़
बिखेर गया
कोई, वरना
एक दौर
वो भी था
जब मुहब्बत
की मुकम्मल
नज़्म हुआ
करते थे हम!-
21 APR 2022 AT 22:28
31 AUG 2023 AT 11:42
ना ज़िन्दगी मेरी, ना वज़ूद मेरा
और ना रूह मेरी है
अजीब मरहले हैं तेरी चाहत के
ना जीत मेरी, ना हार मेरी है
मरहले = ठिकाना / पड़ाव-
20 NOV 2018 AT 1:28
हमसे लगाव तो दूर,नहीं करते हमारा ज़िक्र
अपना वज़ूद खोकर,जिनकी,की है फिक्र |-
23 APR 2021 AT 10:12
हर वक़्त मेरी खोज में रहती है तेरी याद,,,
तूने तो मेरे वजूद की, तन्हाई भी छीन ली!!-
12 JUN 2021 AT 19:52
क्या दस्तख़त दूँ अपने वुजूद का,
किसी के ज़हन में आँऊ,
और वो मुस्कुरा दे,
बस वही काफ़ी है,,,,‼️-
15 DEC 2018 AT 21:17
चंद अल्फ़ाज़ों से ना तौल,
मेरे वज़ूद को...
मैं परख़ने वालों की नहीं,
महसूस करने वालों की...
समझ में आता हूँ !!
-
5 JAN 2019 AT 7:26
थोड़ा शक तो मुझे भी होता है तेरे वज़ूद पे मेरे मालिक,
मन्नतें लाख की मगर इक शख़्श को तू मेरा ना कर सका !!-
20 MAY 2019 AT 1:07
उड़ता बादल हूँ कम मत समझना मुझको
तपते अहंकारी सूरज को भी ढक देता हूँ
बरस जाऊँ तो सैलाब भी ला सकता हूँ
वजूद में पानी समेटे उड़ जाने दो मुझे-