Ali Nausad   ("अली")
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Joined 11 November 2020


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Joined 11 November 2020
2 MAY AT 17:43

दुआएं भी जब छीन ली गई मेरी हथेलियों से,
फिर यूं हुआ कि उम्र भर के लिए सब्र आ गया मुझे!

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30 APR AT 17:36

कितने बेरहम होते हैं
ये मुहब्बतों में
साथ छोड़ने वाले भी,
खुद के किरदार को
संवारने के लिए
दूसरों की कहानियां
उजाड़ देते हैं!!!!!!!!!

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28 APR AT 17:49

मैं बेबस सा खड़ा रहता हूं उसके सामने और,,,
आईना रोज़ मेरी हालत पे मुझको सुना के निकल जाता है!

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21 APR AT 18:06

कुछ गुज़री हुई शामें,
ठहर सी जाती हैं ज़हन में
उम्र भर के लिए,
किसी बिछड़ी हुई
याद की तरह.....!

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19 APR AT 21:50

पलकों की दहलीज़ पर आकर बेसबब ठहर जाना,
मैंने अपने आंसुओं को कुछ यूं भी संभलते देखा है!

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18 APR AT 18:18

ऐ ख़ुदा कुछ तो ऐसा कर कि तुझपे यकीं बना रहे,,,
वर्ना तेरी ये आजमाइशें मुझको काफ़िर ना बना दे कहीं!

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4 APR AT 17:35

मैं उदासियों के हिस्से में आया हूँ,,,
मुझको अब मुस्कुराने की इज़ाज़त नहीं है!

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30 MAR AT 23:01

कुछ हादसे ऐसे भी
होते हैं जिंदगी में,
कि जिसमें इंसान
बच तो जाता है लेकिन,
जिंदा नहीं रहता!!!

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28 MAR AT 0:29

मै क्या करूँगा इन नींदों से राब्ता करके,,,
मेरी आँखों में अब तो कोई ख्वाब भी नहीं आता!

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27 MAR AT 0:23

कुछ मंजिलें जो
किसी के हिस्से में
नहीं आतीं,,,
भटकती रहतीं हैं,
सफ़र-दर-सफ़र
किसी मुसाफ़िर की
तलाश में,,,,
ठीक वैसे ही
जैसे कुछ मुसाफ़िर
गुमनाम रास्तों पर
भटकते रहते हैं
उम्र भर दर-बदर...

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