Ali Nausad   ("अली")
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Joined 11 November 2020


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9 HOURS AGO

आज फिर आईनें में खड़ा शख्स मुझसे लिपट कर बोला,
ऐ दोस्त मुझसे अब तेरी यूं उदासी नहीं देखी जाती!!

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15 AUG AT 9:16

ये गीता हमारी है, ये क़ुरान हमारा है,
ये सारी ज़मीं, में सारा आसमान हमारा है,

रंगों पे लड़ने वालों अब ये जंग छोड़ो,
तिरंगे में लिपटा ये हिन्दुस्तान हमारा है!

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13 AUG AT 17:26

उदासियों संभालो खुद को,
अब मैं चला! ख़ुदा हाफ़िज़...

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7 AUG AT 18:14

पगडंडियां सारी उदास सी बैठी रहती हैं,,,
गांव की सड़कें जबसे शहर को जाने लगी हैं!

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5 AUG AT 22:13

ये उदास शाम और यादों की बारिश,,,
बाद मुद्दत मिल रही हो जैसे दो बिछड़ी हुई ख्वाहिश!

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5 AUG AT 17:41

अब तो अश्क भी नहीं आते दिलासे देने,
शायद ये आंखें मेरी पत्थर की हो गईं हैं!

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3 AUG AT 17:47

झूठ कहते हैं लोग कि किस्मत मुट्ठी में कैद होती है,,,
सच तो ये है कि लकीरों का तक़दीरों से कोई वास्ता ही नहीं है!

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31 JUL AT 0:17

ख्वाब उलझे-उलझे से हैं, रात ज़रा सी उदास है!
जागी-जागी नींद को ना जाने किसकी तलाश है!!

अरसे से अश्क खामोश बैठे हैं पलकों के सिरहाने!
फिर भी इन आंखों में ठहरी जैसे कोई प्यास है!!

आज फिर कोई याद का झोंका मुझसे टकराया!
आज फिर मुझे वहम हुआ कि कोई आस-पास है!!

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27 JUL AT 18:18

आईना ही रहने
दो मुझे,,,
किसी अक्स के रंग मे
मत ढालो,
टूटकर बिखरना
पसंद है, लेकिन,,,
बदलना मेरी
फितरत मे नही...

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25 JUL AT 10:34

ज़मीं में बिखरने से पहले
खुद को संभालने की कोशिश
करतीं बारिश की कुछ बूंदें...

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