QUOTES ON #लफ़्ज़

#लफ़्ज़ quotes

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3 OCT 2021 AT 22:16

छुपी हैं अनगिनत कहानियाँ लफ़्ज़ों के दामन में
कोई पढ़ न सका मुस्कुराहट में छिपी दास्तां

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4 AUG 2018 AT 16:47

जोरों से खटखटाया दरवाज़ा अब डोलने लगा,
धकेल रही मैं दूर इसे मुझसे,मुझे मालूम था कौन है बाहर,
डर था मुझे ये घेर लेंगे मुझे
औऱ मैं घुटने टेक दूँगी,
टिके घुटनों से ज़्यादा हावी रहा झुकी नज़रो का वो डर
जब कोई तरस दिखाये या कोई कह देगा गिरा हुआ मुझे,
ख़ुद को लड़ाका कहना बड़ा ही आसान रहा
पर अपने खोखलेपन से अनजान रहना नही,
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हटा लिये मैंने कोरे पन्ने हर कुंडी के आगे से !!

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15 JUN 2019 AT 3:53

लफ़्ज़ नाराज़ हैं मुझसे
तबसे जबसे कहा था मैंने
"ख़ामोशी सब बयाँ कर जाती है"

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26 JUN 2020 AT 0:02

तुझसे एक पल बात करके
पूरी ज़िन्दगी जी लेने की आदत है !
इस बेवक़्त की ज़िन्दगी में
तेरे लिये वक़्त निकलने की आदत है !
कभी हिम्मत नही हुई कहने की तुझसे,
पर सच मे तेरे बिन ना जी पाने की आदत है!



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29 FEB 2020 AT 21:54

जागते हैं लफ़्ज़ मेरे सारी रात आज़कल
सोचता हूँ इनसे ही थोड़ा इश्क़ लड़ा लिया जाये

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4 JUL 2017 AT 1:35

यह अपनों की हसीन दुनिया, बड़ी ज़ालिम है
मुझे मेरे ही अल्फाज़ के लिये चिढ़ाती है,
वही अल्फ़ाज़..
जिनके लिये बाहरी दुनिया माथे पर बैठाती है,
अपने.. 'उन में'.. मुझे ढूँढते हैं
पराये.. 'उन में'.. ख़ुद को खोजते हैं
जो मरासिम होते हैं पुराने
वो तर्क करने लगते हैं, छेड़ने, घेरने लगते हैं
जो अजनबी अनजाने से होते हैं, वो अपने लगते हैं
हर हर्फ़, हर लफ़्ज़ का दर्द, मायना समझते हैं,
आपके लिखे को ख़ुद का आईना समझते हैं,
ख़ैर छोड़ो..यह तो पुराना दस्तूर है,
जो आज भी चालू बदस्तूर है
मैं तो आवारा सा एक शायर हूँ, कहाँ बाज आऊँगा
सिर्फ़ लिखना ही आता है, 'ग़र नहीं लिखूँगा
गोया के.. मर जाऊँगा
कोई पढ़े ना पढ़े, कोई सुने ना सुने
मैं ख़ुद पढ़ता जाऊँगा, ख़ुद ही सुनता जाऊँगा
दाद भी दूँगा, वाह-वाह करता जाऊँगा
क्या हुआ जो नारसिस्ट कह लाऊँगा
पर अपना दिल और न दुखाऊँगा
फ़क़त एक दिन जब..
मेरा गुल भी "गुलज़ार" हो जायेगा
देखना जो आज मेरा अपना मुझसे चिढ़ता है
वही मेरा सबसे बड़ा अपना
मेरा हबीब, मेरा मुरीद हो जायेगा
- साकेत गर्ग

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5 AUG 2021 AT 18:35

“किसी ने अपना दिल निकाल कर रख दिया 'अभि'
और लोग लफ़्ज़ों के भारीपन की मिसाल दे रहे हैं।”

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4 JUL 2019 AT 3:40

जब से खामोशी पढ़ने लगा हूँ लफ़्ज़ समझ नहीं आते।

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16 NOV 2016 AT 17:10

तेरे लफ़्ज़ मेरे लफ़्ज़
मिलते नहीं आपस में

तुझे 'प्यार' पसन्द है
मुझे मेरा 'यार' पसन्द है

- साकेत गर्ग 'सागा'

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26 OCT 2018 AT 17:14

अधरों से गिरकर लफ़्ज़ हथेली पे
बिखर गए मिरे तो रंग-ए-हिना हुए

तुम चूम लेते तो ही इश्क़ कहलाते

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