🌺साक़ी🌺
जब होश में होती हैं ,
जुबाँ से
क़यामत लाती हैं।।
जब नशे में होती हैं,
ओठों से
जाम पिलाती हैं।-
इक पगली झल्ली लड़की हैं,
हरदम मुझसे लड़ती हैं,
दुनियां के आगे जताने में कतराती हैं,
लेकिन मुझसे प्यार बहुत वो करतीं हैं।
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हमारे साथ नित नए नए खेल खेलती रहती जिंदगी।
ओर इस खेल में हालातो से लड़ती भी खुद जिंदगी।
जीतती कभी हारती पर हार कभी नही मानती जिंदगी।
क्युकी इस तरह चलते रहने का नाम ही है जिंदगी।-
अपनी ही कमजोरियां से लड़ती हूं मैं ,
अपनी कमजोरी से लड़ती हूं मैं ।
उठती हूं मैं गिरती हूं मैं ,
फिर हार कर बैठ जाती हूं मैं ।
सोचती हूं क्यों कर ना पाई , क्यों लड़ नहीं पाई,
क्यों धड़कनों की रफ्तार के आगे बढ पाई ।
एक कदम बढ़ाती हूं , दूजे कदम गिर जाती हूं ।
फिर कानों में गूंजती ध्वनि तू ! कर ना पाई ,
तू ! बोल ना पाई ।
अंगारों सी जलती हूं ,
खुद ही में घुट - घुट कर सकती हूं ।
क्या साहस की दीवार ऊंची हो गई है ,
या मेरा डर मुझे बंधे हुए हैं ।
मन की इन्ही कोतुहल से डरती हूं मैं,
अपनी ही खामियां से हर रोज लड़ती हूं मैं ।
प्रयास फिर भी जारी है ,
देखती हूं , आखिर कितनी बार गिरती हूं मैं ।
-- निशु साहू-
काश मैं भी तेरे लिए खास होता,
जितना तू मेरे लिए हैं,
जैसे मैं तेरे लिए सबसे लड़ गया,
काश तू भी मेरे लिए,
लड़ती तो ,
सायाद साथ होते ।-