ही नहीं तेरा भी है
सपनों में अपना बसेरा भी है-
मंज़िल कितनी भी दूर क्यूँ न हो
मगर लक्ष्य मेरा अर्जुन के तीर सा हो !
कमज़ोरियाँ मुझमें चाहें कितनी भी हो
मगर हौसला सीमा पर खड़े वीर सा हो ! !-
प्रयासरत हूँ निरंतर
लक्ष्य की चाह में....
और चाह भी ऐसे लक्ष्य की
जो निरंतर प्रयास
को प्रेरित करती है।-
जीवन से खूब लड़ो
निरंतर प्रयास करो आत्मविश्वास में डूब करो-
लक्ष्य है,निष्ठां भी है हासिल करने को
शुन्य नहीं मैं साथ मेरे अनुभव भी है-
मैं नन्हा सा पथिक विश्व के
पथ पर चलना सीख रहा हूँ ,
मैं नन्हा सा विहग विश्व के
नभ में उड़ना सीख रहा हूँ ।
पहुँच सकूँ निर्दिष्ट लक्ष्य तक
मुझको ऐसे पग दो, पर दो।।
पथ मेरा आलोकित कर दो-
है !पर इसे पूरा करने के लिए मुझे उठाती मेरी मां है! और जब भी कभी मैं हार मानने लगती तो हौसला देते मेरे पिता है!
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अन्जान बनकर
इस ज़िंदगी को तू मत जी ,
अपना लक्ष्य ढूंढ
और हासिल करने उसे निकल।
ऐसे ही बैठा है तू
क्या तेरा जीवन व्यर्थ है ..?
जबकि सब कुछ
करने में तू समर्थ है....
इंसान तू बड़ा ही बलवान ,
अपनी शक्ति को पहचान ।
मिला है तुझे जो रूप साकार
उससे अपने जीवन को दे
एक नया रूप आकार...!!-
जिन्दगी में एक ऐसा लक्ष्य भी होना चाहिए यार जिसके लिए दिल में जोश और दिमाग में पागलपन हो...*
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