सुनाना है अल्फ़ाज़ अपनी, रूबरू तुमसे होना है
पास बैठो तुम आकर, गुफ्तगू की बातें करना है
कुछ किस्सा तुम कहना, कुछ किस्सा हम कहेंगे
जब चलेंगे साथ दोनों, एक दूसरे को देखा करेंगे
खत्म हुआ इंतज़ार तुम्हारा, वो पल लौट आया है
वक़्त के कगार पर, संदेह तुम्हारा अब आया है
बेसब्री सा इंतजार था, आहट मेरा जो बेशुमार था
कितने दिन गुजारे थे मैंने, जो साथ वाला प्यार था
उम्मीद का चिराग जल गया अब, जो तुम आ गए
दिल बहल सा गया मेरा, जो रूबरू तुमको पा गए
सुनाना है अल्फ़ाज़ अपनी, रूबरू तुमसे होना है
पास बैठो तुम आकर, गुफ्तगू की बातें करना है
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