उनकी बातों ने ऐसी सजावट की है, मानो चिरागों ने रौशनी से बगावत की है..
वो करे ना करे मुहब्बत हमसे ,हमने तो साजिशों से मुहब्बत की है..
और अब इश्क़ शब्द से कोई परहेज नही हमको, बस जिंदगी को नफरतों के हवाले की है..
दूर जितना जाना हो वो बादल चला जाये, अरे हमने कब भीगने की गुजारिश की है..
शोलो से निभा कर जल गए है हम भी, तभी सूखे कोयले से नई दोस्ती की है..
चिराग भले ही रूठे हो रौशनी से गुजरे दिनों से, दिल ने जल कर हरेक रातों को रौशनी की है..
ये बताये कौन उनको उन रास्तो के बारे, जिसपे चल कर हमने ऐसी जिंदगी की है..
दुश्मनी हो गयी थी रातों से हमारी, रोज लड़ते हुए उजालों से दिल्लगी की है..
उनके इरादें भले ही बदले से हो मगर, इन साजिशों ने भी हम ही से आशिक़ी की है..
उनकी बातों ने ऐसी सजावट की है, मानो चिरागों ने रौशनी से बगावत की है..
वो करे ना करे मुहब्बत हमसे, हमने तो साजिशों से मुहब्बत की है!!
वो करे ना करे मुहब्बत हमसे, हमने तो साजिशों से मुहब्बत की है!!
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जलाया घर पर अब सिर्फ रौशनी देखो
जो हुआ , हुआ वो नादानी में
दो घूंट लहू के तुम पियो
क्या रखा खारे से पानी मे..-
उनकी प्यारी हँसी अब तबाह कर रही है
काली-काली वो आँखे ग़ुमराह कर रही है
तू हां बोल दे दिल उन्ही के तरफ से
झूठा ही सही पर तसल्ली तो हो ..-
एक युग बिता वनवास में,
सिर्फ जीत के ही आश में
क्यों रुका है तू दहलीज पर,
जब मंजिल है तेरे पास में..
क्या थक गया तू चलते चलते,
क्या और अब ना चल सकेगा..
क्या वर्षों की मेहनत को तू,
आलस के बदले कुचल सकेगा..
सोच कितना कष्ट होगा,
जब सूर्य कल को अस्त होगा..
जब रजनी काली आएगी,
आरोप तुझपे लगाएगी..
क्या हार का मुख देख कर,
आराम तब तू कर सकेगा..
मंजिल निकट है अब न रुक,
क्या मौका फिर ये आएगा..
एक युग बिता वनवास में,
क्या वनवास फिर तू जायेगा!! -yourakhand-
जब बिच भवँर में फसी हो नाव और दूर किनारा लगने लगे
जब ना संभले संघर्ष की कश्ती और ख्वाबों का सूरज ढलने लगे
जब उठे निराशा की आंधी और उम्मीद की ज्वाला बुझने लगे
जब हिम्मत तुम्हारी हार रही हो और घनघोर अंधेरा दिखने लगे
तब एक पल को तुम रुक जाना
क्या खोया क्या पाया से पहले थोड़ा मुस्कुराना
ये वक़्त तुम्हारा ही है और कुछ तुम्हे सिखाने आया है
है मृत्यु झूठ,जीवन ही सत्य ये बात बताने आया है
खिलने है हजारों फूल जीवन मे,अनुभव का कमल खिलाने आया है
तुम हो ,तुम्ही सच्चाई हो ये स्मरण कराने आया है
ये वक़्त तुम्हारा ही है ,हां मजबूत बनाने आया है।
ये वक़्त तुम्हारा ही है ,हां मजबूत बनाने आया है।।-
ऐसा लगता है पर है नही
मैं जो आज हूँ वही कल रहूँ ,कोई तय नही!!
मुश्किलें लाख आएँगी तो आने दो
हारना होगा हार जाऊंगा खुशी से
पर पहले किस्मत तो आजमाने दो।
दरिया तो खुद जिंदगी है
डुबाये या पार लगाये
जो अब इसमें उतर ही गया हूं तो हाथ पैर भी चलाने दो।
ज्वाला सी गर्मी है भीतर थोड़ी शीतलता आज चुराने दो।
मत रोको मुझे कोई भी,
आज खुद को मुझे आजमाने दो।
हारना होगा हार जाऊंगा पर,
जीत की एक बाजी आज लगाने दो।
जीत की एक बाजी आज लगाने दो।।-
जख्म,चोट,हार,जीत
यही गीत,यही रीत।
कर्म,दायित्व, गलती,ग्लानि
चंद शब्द और पूरी कहानी।
अभिमान,अहंकार,कुकृत्य,तिरष्कार
क्रम यही,ये अनुभवों के प्रकार।
भोग,योग जैसे अंधकार, प्रकाश
दोनो जरूरी,पर ना एक साथ।
आध्यात्म,दान,मदद या इनाम
मोक्ष यही,यही चारो धाम।
स्मृति,विस्मृति, सुख और मलाल
सरल यही एक सत्य विशाल।
धन,वैभव,अल्प या पर्याप्त
सबकुछ खत्म,जिसका जीवन समाप्त।।-
काल के इस भवँर में
कठिनाइयों के इन प्रहर में
कर्तव्य को सारथी मान
लक्ष्य के अनमोल पथ पर
अब बिन रुके,मैं चलूँगा
आरम्भ जब मैंने किया
तो अंत भी मैं ही करूँगा।
सिर्फ योजना नही अब युद्ध होगा
मनस भी मेरा शुद्व होगा
गलतियों से सीख लेकर
मुझे रोकने वाली खुद की बुराइयों से
अब बिन रुके मैं लड़ूंगा
आरम्भ जब मैंने किया
तो अंत भी मैं ही करूँगा।।-
स्याह रातों ने सिखाई है जो बातें तुझको
क्या दिन का उजाला वो बातें सिखा पाता!!
जो गुनाह हुए वो जरूरी थे,मेरे भाई
वरना इस रंगीन दुनिया मे,सफेद जीवन लिए तू कहाँ जाता।।
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