Akhand Pratap Singh   (@yourakhand)
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“Everything you can imagine is real".. Picasso

#yourakhand
Joined 6 July 2020


“Everything you can imagine is real".. Picasso

#yourakhand
Joined 6 July 2020
17 FEB 2021 AT 1:22

कह दो ना जो भी कहना चाहते हो तुम कुछ दिनों से,
दूर ही तो जाओगे मेरे दिल से तुम
पर बेवजह किसी दूसरे की तुम जगह तो न लोगे।
हर बात पर रुठ जाते हो बताओ सज़ा कितनी दोगे,
तुम्हारे गुनाहों के बारे में पूछूँ अगर,तो वजह कितनी दोगे।

अरे तुम कहो तो सही, साफ-साफ एक एक बार ये कि,
नही मुकम्मल हो सकता है अब इश्क़ हमारा।
बहुत दूर चला जाऊंगा मैं तुमसे उसी पल,
अब हर बार तो नही कर सकता मैं इंतजार तुम्हारा।

तुम्हारे लिए तो खेल है आशिक़ बदलना
सच्चे प्यार का देखा ही कहाँ तुमने कोई नज़ारा।
क्या होगा मेरा,
ये सोच कर मत ज़ाया करना तुम थोड़ा भी वक़्त तुम्हारा।

अरे मैं उनमे से नही जो मान कर बैठे है यहां कि,
इश्क़ किसी और से नही हो सकता दुबारा।।

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27 OCT 2020 AT 22:58

We all are walking on a simple street
Where guide is no one else, it's our greed.

It's like an endless battle of time vs need.
Where we think failure is our ultimate enemy and achievement is our inner peace.

Somehow we all are running for fame.
But deep down we all know, our destination is same.

Sometimes we stuck somewhere and reason is nothing , it's only
our deeds .
And then emerges out in our mind,
a temporary but dark black seed.

Then relax, calm down, Don't be afraid like a kid.
Actually nobody really cares for you,creep or run.
Matters only one thing here, is to have somehow a little bit of fun.

So just take out that seed, roll it like weed,
Smoke it out because you are no more a kid.
Yeah, it's true you are no more a kid.

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12 OCT 2020 AT 22:30

नगर के नजदीक
नदी में एक नाव पर
इसी नरलोक में
निडर सा एक नाविक ।

निर्यात के नशे में
नीले नदी में
नीलम को ढूंढता
निश्छल सा वो नाविक।

नियति के निर्णय में
निष्ठा दिखाता पर
निरश जीवन मे
नीरज खिलाता वो नाविक।

निराश है आज पर
निश्चय भी किया है
नित नीलम की खोज में
निकल जाता वो नाविक।।

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5 OCT 2020 AT 13:48

नारी का जीवन
जैसे विचित्र एक कहानी
बंदिशें है समुन्द्र जितनी
त्याग जितना कि समुन्द्र में पानी ।।

नारी का जीवन
जैसे विचित्र एक कहानी
संघर्ष है आकाश जितना
पर है उड़ते चील,कौवों से अनजानी।।

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30 SEP 2020 AT 15:27

खत्म कुछ भी होता नहीं यहां जब,
तो क्यों खत्म है करना खुद को !!

जिंदगी है समुन्द्र में अगर,
तो क्या नहीं जिंदगी मरुस्थल में !!

परिवर्तित होता है सबकुछ यहां जब,
तो क्या लोग नहीं परिवर्तित होंगे !!

परिवर्तन ही तो करना है खुद में तुझको,
जैसे समुन्द्र हो जाता परिवर्तित,किसी मरुस्थल में !!

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23 SEP 2020 AT 17:08

कभी कभी ,कुछ बदलने से
बदल जाता है बहुत कुछ ।

तब थोड़ा संभलने से
संभल जाता है बहुत कुछ ।

आज अगर हार ही गए तो क्या हुआ,याद रखो
गमों का गर्दिश भी सिखलाता है बहुत कुछ ।।

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15 SEP 2020 AT 13:14

मुश्किलें इतनी भी बड़ी नही होती दोस्त,
जितना वो अक्सर दिखा करतीं हैं।

ये तो बस उन वैश्याओं की तरह होती हैं,
जो अपने समय पर खूब बिका करती है।।

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14 AUG 2020 AT 20:40

अगर तू तलवार होता
काट डालता शीश तू शत्रु का
पर तुझको ना किंचित भी दुख होता।

जख्म देता कितने भी गहरे
और शत्रु जब दुख से रोता,
तनिक भी ना तुझे बुरा लगता नाही तू कभी लज्जित होता।

पर याद रख तू कोई तलवार नही
जख्म देकर खुश ही रहना,इतना भी आसान नही।

माना तेरा जीवन है रणभूमि
पर समय कि है अब पुकार यही
पुनःविचार कर तू फिर से
क्षमादान कर दे तू फिर से
है मानवता कि एक मांग यही।
है मानवता का एक सार यही।।

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12 AUG 2020 AT 23:58

समझना मुश्किल है लेकिन बहुत आसान सी नीति हूँ
हाँ मैं राजनीति हूँ।

चंद लोगो कि वजह से ,हर वक़्त जहर पीती हूँ
हाँ मैं राजनीति हूँ।

जो समय के साथ बदलता रहे वही तो रीति हूँ
हाँ मैं राजनीति हूँ।

सब के विचारों से सीख कर जीती हूँ
हाँ मैं राजनीति हूँ।

आज सोच कर देखो तुम्हारी भी आपबीती हूँ
हाँ मैं राजनीति हूँ।।

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8 AUG 2020 AT 19:18

एक चिता थी सामने,जला जो वो मेरा आक्रोश था।
क्षत्रियता निभा कर आज,फिर से मैं खामोश था।।

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