वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई जी के जन्मदिवस
पर उन्हें मेरा नमन 🙏🙏💐💐
उनका जीवन साहस, बलिदान, संघर्ष
औऱ मातृभूमि की रक्षा के लिये प्रेरणा देता है ।🙏-
"दूर फिरंगी को करने की,सबने मन में ठानी थी!
धधक उठी सन सत्तावन में,वो तलवार पुरानी थी!
बुंदेले हरबोलों के मुँह,हमने सुनी कहानी थी!
खूब लड़ी मर्दानी,वो तो झाँसी वाली रानी थीं!!"
1857ई●में झाँसी को अंग्रेजों के राज्य में मिलने से बचाने के लिए अपने दत्तक पुत्र दामोदर राव को राजा घोषित कर झाँसी की सेना का नेतृत्व करके अंग्रेजों से डटकर लोहा लेने वाली वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई को उनकी जयंती पर कोटि कोटि नमन करते हैं।
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गुलामी की बेड़ीयों में जकड़े भारत को
आज़ाद कराने वो आई थी,
सहासी,वीर,दुर्गा का रुप वो नारी थी,
मणिकर्णिका नाम था जिसका बन गई वो
महारानी झाँसी की।
संघर्ष से भरा जीवन उसका बाग था,
खौफ थी वो अंग्रेजी राज्य और उनकी विक्टोरिया का,
मातृभूमि ही पहला और अंतिम प्यार उस रानी का
थी वो स्वँय भूमी की जन्मी प्यारी बेटी।
रानी लक्ष्मीबाई झाँसी की,
आज इस आजा़द भारत की महारानी,
हमारे दिलों में हमेशा अमर रहेगीं।-
।। नारी शक्ति ।।
लगा लें हाथ अगर तेरी औकात है इतनी
बन के मर्दानी करूंगी मैं तेरा संहार
कांपेगी धरती कांपेगा आसमान ।
लहु जो गीरेगी मेरी
धरती भी रोएगी आसमान भी रोएगा
सुर्य निकलने से पहले सुर्य भी छुप जाएगा ।
मैं पुरक बनूंगी तेरी जैसे बन के चांद की चांदनी
कभी मां कभी बहन तो कभी बन के अर्धांगिनी ।।
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अंग्रेजों से लोहा लेकर
खूब लड़ी वो तेजस्वी,
अपनी माटी की रक्षा के ख़ातिर
खूब लड़ी वो तेजस्वी,
कोई उसका बलिदान
आजतलक भी भूल ना पाया है
ऐसी झाँसी की रानी का
इतिहास सभी ने गाया हैं ।
क्षण भर के लिए भी वो
माटी से न कतराई थी,
बाँध शिशु को पार्श्व में
रत्तीभर न घबराईं थी,
इसी लिए वो तेजस्वी
रानी लक्ष्मीबाई कहहि थी,
और ऐसी झाँसी की रानी की
गाथा सबने गायी थी ।
उसकी वीरता को देख
अंग्रेजों के भीतर भय आया होगा,
उसकी मृत्यु के पश्चात
अंत मे बादल भी रोया होगा ।-
पापा कि परी बनना छोडो अब,
बनना है तो महारानी लक्ष्मीबाई बनो।
नोच लो उन अॉखो को
जिन अॉखो मे हवस भरी हो।
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Bihariiishq
तेरा स्मारक तू ही होगी,
तू खुद अमिट निशानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी।🙏
मात्र 23 वर्ष की उम्र में अंग्रेजो के खिलाफ रणभूमि में प्राण की आहुति देने वाली,महान योद्धा झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की जयंती पर कोटि-कोटि प्रणाम🙏🙏
#रानी लक्ष्मीबाई
(19Nov1828,Varanasi)
To
(18June1858,Gwalior)-
बुन्देले हरबोलो के मुंह हमनें सुनी कहानी थीं,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी..
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की वो नायिका महान थी,
अंग्रेजों से लोहा लेने वाली वो माँ भारती की बेटी थी,
नारी शक्ति का प्रतिबिंब, बन कूद पड़ी रण मैदान में,
पवित्र भू वाराणसी में जन्मी, आजादी के लिए शहादत
पाने वाली माँ की दूसरी वीरांगना वीर सुपुत्री थी,
महज 29 वर्ष की आयु में जिस ने अपना सब कर न्यौछावर,
अंग्रेजों के अन्याय से लोहा लेते हुए रणभूमि में बलिदान दिया,
चमक़ उठी सन् सत्तावन मे, वह तलवार पुरानीं थी,
बुन्देले हरबोलो के मुंह हमनें सुनी कहानी थीं,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी..
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सोलह श्रृंगार और
हाथों में तलवार
भारत की बेटी थी
झाँसी की रानी थी
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