बेचैन मन उदासी भरा हृदय बस व्याकुल नयन तेरे दर्शन को
मन में मंदिर सजाया है साँवरिया बस प्रीत तुझसे लगा बैठे
जब जब निहारू मैं तुझको ओ प्यारे
तब तब बस खो जाती हूँ हर डर हर तकलीफ भुला मैं कृष्ण मय हो जाती हूँ।।।-
राधा बनु तो तुम्हे पा न सकु, मीरा बनु तो बद्नाम हो जाऊ!!
ऎसा क्या करू की बिना चरित्रहीन कहे तेरी हो जाऊ!!
जाऊ जहा भी तेरे साथ तेरा साया कहलाऊ, जाऊ तेरे साथ तो मान से जाऊ !!
काश!मै तेरी रुकमणी बन जाऊ!!
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छलिए हो तुम मोहन
मैं कभी तुम्हारे सामने न आऊँ।
वृंदा की ओट से तुम्हें
चुपके से अपनी आंखों में भर जाऊँ!
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तुम भगवान हो कान्हे! सब कुछ जानते हो
मैं जोगन हूँ तुम्हारी, सिर्फ तुम्हें मानती हूँ!-
जमुना तीरे खेलत होरी, संग श्याम राधिका प्यारी
डारत हैं रंग किशन कन्हैया, हाथ लिये पिचकारी
दौड़ छिपीं नंदनवन में, श्री श्याम राधिका प्यारी
खोजत हैं पादप पादप, सखियों के संग बिहारी
छिप राधिके रंगी मुरारी, डार गुलाल देह सारी
हरसत है मधुसूदन नगरी, यो दरश देख तिहारी
राधा के प्रभु गिरिधर नागर,मैं चरण कमल बलिहारी|-
प्रेम में राधा हूँ कान्हे
दीवानगी में मीरा
तू लाख बचले मुझसे
छोड़ूं न साथ तेरा!-
मुझे ज्ञान नहीं
तुम्हारे द्वारा निर्धारित
कर्मयोग एवं योगनिष्ठा से
प्रेम, भक्ति और प्राप्ति
के मार्ग की..
भान है..
तो केवल
तुम्हारे ईश्वरत्व
और मेरे मनुष्यत्व की..
जहाँ दिखता है मुझे
तुम तक पहुँचने का
सिर्फ एक मार्ग
" प्रेम "-