इस जिंदगी की रंगदारी को, बड़े सुनहरे रंग चुने थे हमनें,
जमाने का बदलता रंग देखकर, सब फीके पड़ गए...!!-
काश कर लेते रंगदारी रंगों से
भर लेते पिचकारी रंगों से....
Paanee
रंगदारी=छीनना,वसूलना-
कुछ रंग चुरा कर दिन से तेरी रातें रोशन कर दूँ मैं
कुछ रंग चुरा कर रातों के तेरी आँखों नींदें भर दूँ मैं
कुछ रंग चुरा कर सुबहों के तेरा रोम रोम महका जाऊँ
कुछ रंग चुरा कर शामों के तेरा तन मन सब बहका जाऊँ
कुछ रंग चुरा कर मौसम के कर दूँ तुझे इंद्रधनुषी सा
कुछ रंग चुरा कर फूलों के ओढ़ा दूँ चुनर सतरंगी सा
कुछ रंग चुरा कर पंछियों के तुझे दूर गगन में ले जाऊँ
कुछ रंग चुरा कर धरती के तेरे कदम कदम मैं बिछ जाऊँ
कुछ रंग चुरा कर तुझसे ही तुझे तुझ सा पक्का कर दूँ मैं
कुछ रंग चुरा कर मुझसे ही तेरे रूह तलक सब रंग दूँ मैं
कुछ और नहीं आता इस रंगरेज को सिवा सबके रंग में रंगने के
कि कुछ रंग चुरा कर जहां से ही तेरा जहां रंगीला कर जाऊँ-
अपने झूठे मोहब्बत का रंग मुझ पर ज़ाया न कर
रंगदारी है अपनी मुझपे ये रंग कभी काम न आए
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कई मर्तबा सुना
बड़े रंगदार
हैं वो।
पर ये न बतलाया
कभी किसी
शुभचिंतक ने हमारे
कि फरेब
के रंग में ही
डूबी हुई है तुम्हारी
सारी शाम-ओ-शहर।
-आईना-
ऐ ज़िन्दगी तेरे रंगों से रंगदारी ना हो पायी
मै लाख कोशिश की पर तुझसे यारी ना हो पायी।।-
ज़िन्दगी तेरे रंगो से रंगदारी ना हो पाई,
लम्हा लम्हा कोशिश की पर यारी ना हो पाई ।-
ये ख्वाहिशें है पागल सी
आसमां के बदल सी
बरसी तो धुल जाएंगी
रोशनी ये काजल सी...-