देखो ये गुण्डा गर्दी।
हैल्मिट-कागज़ के नामों पर,
अंधाधुन चली वसूली।
दस रुपया का दस दिनों मास्क,
बचा पुलिस से लेता खाली।
पेट पालने को बस दिखती,
इन्हें गरीबों की थाली।
चमक सितारों की पैसों से,
यह है चोरों की वर्दी।
देखो ये गुण्डा गर्दी। देखो ये गुण्डा गर्दी।
धमकाते है खाकी वाले,
पीड़ित के घर वालों को।
चीखें चीख चीख मर जाती
ये बचाते हलालो को।
साक्ष जलाने में है माहिर,
भस्म करते सवालों को।
मानवता को बेच चुकी जो,
है ये भक्षक की वर्दी।
देखो ये गुण्डा गर्दी। देखो ये गुण्डा गर्दी।
ड्राइवर इनका बदलो यार,
गाड़ी रोज़ पलटती है।
विधायक जी के इशारों पर,
गाड़ी इनकी चलती है।
महंगाई के युग में खाकी,
सबसे सस्ती बिकती है।
लम्बे हाथ कट गए है ये,
लम्बी जेबों की वर्दी।
देखो ये गुण्डा गर्दी। देखो ये गुण्डा गर्दी।-
मंज़िल पे पहुँचने से पहले ही एक बार फिर सफ़र हुआ खत्म,
टूटी हुई पटरी पे दम तोड़ रही है साँसे,
किसका क़सूर था...
किससे पूछेंगी अब ये लाशें ?
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अबतक जितने भी बाबा पकड़े गए हैं
उनमें से कोई भी यूपी बिहार का नहीं है,
वो इसलिए
क्योंकी हम एक कटोरी आटे से ज्यादा कुछ देते नहीं
और ज्ञान किसी का लेते नहीं,
इसलिए हमारे यहां नागाबाबा पाए जाते हैं।
😀😁-
(एक प्रेम कहानी के माध्यम से राजस्थान के मुख्य मेलों का वर्णन)
मेला
💟💟
भरतरि रे मेला मा मौको मिलग्यो पिछाण को
यूपी की छोरी नै भाग्यो छोरो राजस्थान को
आँखड़ल्या लड़गी दोन्यूँ की अंइयाँ खेला खेला मा
प्रीत रो भूत चढ़्यो मेंहदीपुर बालाजी रा मेला मा
सीकर रे मेला मा म्हनें होगी सुबह सूँ शाम जी
अब तो म्हारो मिलन करा द्यो म्हारा खाटूश्याम जी
बीकानेर मेला में ज्यांसा भोग लगावा काबा नै
करणी माता मेहर करेगी दौन्यूँ नै मिलावा नै
मेलो ब्रह्मा जी रो लाग्यो पुष्कर तीरथधाम मा
साँची प्रीत रो मिलन लिखो ब्रह्मा जी म्हारा भाग मा
भरै करौली मा मेलो म्हारी कैलादेवी मैया रो
माता रो आशीष खैवैया म्हारी प्रीत री नैया रो
महावीर जी रे मेला मा थारे लारे आगी मै
थारो म्हारो मिलण करा दियो महावीर बैरागी नै
मेला नै गणगौर का सिंदूर बणा दियो माँग को
यूपी की छोरी नै मिलग्यो छोरा राजस्थान को
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यूपी.. ताजी करारी मूँअफयी लै ल्यो..
नाय लैनी ..कोऊ बात नाय..नैक चाख तौ
ल्यो।
पंजाब.. ओये मूँफली ओए..नी लेनी..ओजी कोई
गल नी..तुसी चख ले।
राजस्थान..मूँफड़ी लै ल्यो सा..कोन लेणी.
काँई भी कौन..चाखर तो देखो।
हरियाणा.. रै मुंफड़ी..का...लेणी ना..
तो चख क्यूँ रा।
😂
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मित्रों "सरकारी नौकरी" कलयुग का एकमात्र ऐसा ब्रह्मास्त्र है,
जिसे फेंककर मारने पर सैकड़ो किलोमीटर दूर से रिश्ते आने लगते हैं। 🤔-
इतने दिनों बाद
आज समझ आया,
चिढ़ है हाथी से
है ये यूपी की माया।☺-
भूलकर भी यूपी वालों से ना भिड़ना
खासकर आगरा वालों से बचकर ही चलना
उस में भी खासकर शाहगंज वाले
अकल से भैंस भिड़ी तो समझो
खुदको पागलखाने के हवाले
ये मत समझना कि अब वहाँ पर योगीराज है
घोड़ों से ज्यादा आज भी वहाँ गदहों को ताज है
नकल से पढ़ने वाले कभी भी अकल से डरे नहीं
भूल न जाना मुलायम माया आजम अभी मरे नहीं
😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂
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