क्या कोई मुझे कोई बात सकता है कि नई शिक्षा नीति में आप बच्चों को भेड़ चाल से निकलेंगे वो ठीक। पर सवाल ये है कि वो जो एकाग्रता 10 कामो में बाट दोगे उसके बाद नौकरी किस क्षेत्र में दोगे सर?
क्योंकि मेरी समझ मे उसके बाद 10% को छोड़ बाकी स्टूडेंट्स न घर के रहेंगे न घाट के?
कम से कम 20 साल का समय लगेगा इसे अपनाने में उसका क्या? और ये 20 साल उन युवाओं का क्या जो आज बेरोजगारी की कागार पर है?-
युवाओं का जीवन
युवाओं का जीवन, कुछ साक्षिप्त सा है
कही चढ़ा है चोटी पर, तो
कही कुछ "व्यसनों" में लिप्त सा है....
कहने को तो यौवन है ये ज़रा नहीं
पर देखो ये सोना भी तो खरा नहीं.....
जो थे करते, उछल कूद कभी जंगल में
अब ना उठती खाट भी, उनसे जरा नहीं.....
पहले थी "मदिरा" जो खुश्बू तो देती थी
अब तो है "स्मैक" जो देती पता नहीं.....
मोबाइलों पै, पड़े हुए हैं, चौबीसों घंटे
क्या देखें दिन रात, किसीको पता नहीं.....
दुरो से ही, हाय हैलो, फरमाते हैं जानें
कहां गए संस्कार, किसीको पता नहीं.....
अपने ही बूढ़ों को, रखने में शरमाएं
सोचो आगे क्या होगा हाल, किसीको पता नहीं.....
छोटी सी खरीद से ही तो, परिवार पले थे
अब जाएं शॉपिंग मॉल, खर्चे पता नहीं.....
नीम छांव से दूर, बिल्डिंग में रहते हैं
अब कहां है भौर बयार, किसीको पता नहीं.....
युवाओं का जीवन तो, अब सिमट गया है
वो कहां है सच्चे यार, किसीको पता नहीं.....
उठो! सहारो खुद को सवारों, तू है
भावी आधार क्या तुझको पता नहीं...
🌟Meenakshi Sharma🌟
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युवा ये किन पाश्चात्य संस्कृति की बेड़ियों में जकड़े हैं
ये Rose day ,kiss day जैसे फूहड़ दिनों में फँसे हैं
ये दिन हमारी संस्कृति की सौगात नहीं हैं
जीवन को सच्चे और अच्छे पथ पर ले जाओ
तुम क्या इन बेहूदा मसलों में उलझे हो
अभी भी वक़्त है सम्भल जाओ
अपने जीवन की एक दिशा बनाओ
जीवन में कुछ बड़ा करके दिखाओ
मत पड़ो इन बेकार के दिनों के चक्कर में
हम भारतीय तो रहते हैं परिवार में
हर दिन मनाते सबके साथ त्योहार हैं ।
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अंदर के आत्मविश्वास को जानोगे सुगम
ज्ञानमय परणती को करोगे शतवार नमन
उपदेश बनो खुद का खुदका के लिए निरंतर
बन जाओगे आत्म शांत खुद के लिए बढ़कर....
भिन्न चित्ता चित्त चितवन झाको देहातन आकर
जानोगे प्रतिभा को आत्मसुंदर मार्गपथ पर
शिल्पकार अष्ठावधानी हो तुम कल्पनाओं के
साकार करो खुद अपने लिए भावनाओं मलके.....
ध्येयपथ को अपनाओ युवाओ जीवन प्यारा है
प्यारे प्यारे जीवन को भी तुमपे बडा प्यार आता है
मक्सद मुकम्मल कर ले प्यारे आशा को पकड ले
प्यारी सी यह जिंदगी प्यारे प्यार ही से जी ले.....
क्षणमात्र सुख को थामने के लिए ना ले ओ खुशी
महाभयाणक 'एड्स' आयेगा ग्रहण बनके लेकर फाशी
अनुपम ज्ञानग्रहण का झरना बहादो तुम तो सिंधु हो
ज्ञानमय तुम तो चेतन योगी स्वानुभुती बिंदु हो....०९:१२:२०१९-
#JNU_protests....
नफ़रत के दौर मे तुम भी जश्न बना लो साहब, उड़ा लो मखौल हमारा...
जब आपका घर जलेगा...
तब घर के साथ दिल भी जलेगा तुम्हारा...-
युवाओं की समस्या..बेरोजगारी
बेरोजगारी हाय;डस गई;बेरोजगारी हाय;डस गई !
डिप्लोमा और डिग्री देखो फोटो बनकर टंग गई !
गलियों में नेताओं की आवाजाही बढ़ गई ,
फिर इन नेताओं को हम युवाओं की याद आई !
पाँच साल जाने कहाँ थे ये नेता जब युवाओं
ने रोजगार के लिए इनसे फरियाद लगाई !
वायदे करते लुभावने चुनाव से पहले कितने ,
कहाँ खो जाते फिर नजर ही नहीं आते !
हमको शिक्षित करने के लिये ,माता-पिता ने जाने कितने कर्ज लिए !
पिता ने जमीन और माँ ने गहने ,अपने गिरवी रखे हमारे लिए !
एक नौकरी पाने को जाने ,हमने कितने है जतन किये !
धरना भी देकर देखा ,पर डंडे ही हम युवाओं ने खाये !
अब बस यही हूँ कहता जब चाय ही बेचनी थी ,
तो क्यों माँ मुझको इतना पढ़ाया ?
पर सोचो देश के नेताओं ,उच्च शिक्षा पाकर चाय है बेचनी !
ये रोजगार तो मैं अनपढ़ रहकर भी कर लेता !
कैसे भारत देश विकास की ,डगर पर आगे बढ़ेगा !
क्योंकि हर युवा चाय बेचकर ,प्रधानमंत्री तो नहीं बन सकता !-
आज भारत के महान क्रांतिकारी नेता,
अमर शहीद भगतसिंह का जन्मदिवस है।
उनका जन्म 28 सितंबर 1907 को बंगा,
पाकिस्तान में हुआ।
जीवन पर्यंत भारत की आज़ादी के लिए लड़ते हुए
23 मार्च 1931 को हँसते हुए फाँसी के फंदे पर
झूल गए। समस्त विश्व में करोड़ों युवाओं को न्याय
और स्वतंत्रता के आदर्श से जोड़ने वाले इस
महान क्रांतिकारी को हमारा नमन है।
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"देश में बदलाव लाना बाकी है।"
गरीबी हटाना बाकी है,
भ्रष्टाचार मिटाना बाकी है,
अशिक्षा रूपी अंधकार हटाना बाकी है,
देश में बदलाव लाना बाकी है।।
गरीब किसानों एवं सैनिकों को सम्मान देना बाकी है।
जातिवाद हटाना बाकी है,
सबको एकता के सूत्र में बांधना बाकी है,
देश में बदलाव लाना बाकी है।।
सबको अधिकार दिलाना बाकी है।
देशद्रोहियों को देश से निकालना बाकी है,
सबको न्याय दिलाना बाकी है,
देश में अभी बदलाव लाना बाकी है।।-
घनाक्षरी
तीन लाख नौकरी के दाता जो बने हैं आज,
तीन साल से बतायें,सोए क्यों पड़े थे वो।
आज जब युवाओं ने,जो भरी हुंकार थी तो,
दिन में ही तारे देख,रोए क्यों पड़े थे वो।
तान जो चदरिया को,सोये रहे तीन साल,
आज खौफ में तिलमिलाए क्यों पड़े थे वो।
संविदा की बात छेड़,बनते थे शेर खां जो,
आज मीडिया में मिमियाए क्यों पड़े थे वो।-