क्योंकि... जीवन की राह में नज़रे झुक जानी है ! जुबां की मिठास खो जानी है ! दिल की पसंद बदल जानी है ! कदमों की चाल बहक जानी है ! अंत में इन सांसों की भी माला थम जानी है !
फिर दरिंदगों की हैवानियत का शिकार हुई एक और निर्भया क्यों न नोंचा जाए जालिमों की खाल का एक-एक रेशा उनकी दर्द की कराहना से सबक लेकर फिर ऐसा ख्याल न लाए कोई भी दरिंदा #justice 4 another nirbhya